Zafaryab Jilani Death: जानिए कौन थे जफरयाब जिलानी? जिंदगी भर बाबरी मस्जिद का लड़ा मुकदमा

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 May, 2023 06:48 PM

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अयोध्या के रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी का बुधवार को लखनऊ में निधन हो गया। जफरयाब जिलानी लंबे समय से बी...

अयोध्या, Zafaryab Jilani Death: अयोध्या के रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी का बुधवार को लखनऊ में निधन हो गया। जफरयाब जिलानी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने लखनऊ के निशातगंज स्थित हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। देश के जाने माने अधिवक्ता होने के अलावा जफरयाब जिलानी आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव थे और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी थे। इतना ही नहीं वे यूपी के अपर महाधिवक्ता भी रह चुके हैं। उनके निधन के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं ने दुख जताया।
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बता दें कि बाबरी मस्जिद प्रकरण में मुस्लिम पक्ष को मजबूती से रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी नहीं रहे। राजनीति में ना होते हुए भी तीन दशक तक सुर्खियों में रहे जिलानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव भी रह चुके थे। वो मुस्लिम से जुड़े मुद्दों में सक्रिय तौर पर भाग लेते थे और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता भी करते थे। कई मामलों की तो उन्होंने खुद पैरवी की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के वरिष्ठ अधिवक्ता जिलानी ने निशांत अस्पताल में बुधवार दोपहर अंतिम सांस ली। बेटे जफरयाब जिलानी ने इसकी पुष्टि की। बताया जाता है कि वो पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। दो साल पहले बाथरूम में गिरने से उन्हें ब्रेन हैमरेज भी हुआ था, लेकिन वो उससे उबर गए थे। हालांकि उसके बाद से उनकी सक्रियता कम हो गई थी।
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जफरयाब जिलानी का जन्म 1950 में लखनऊ के पास स्थित मलिहाबाद में हुआ था। यहीं उनका बचपन बीता। इसके बाद उन्होंने लॉ में मास्टर्स की डिग्री ली और लखनऊ हाईकोर्ट की खंडपीठ में प्रैक्टिस शुरू कर दी। वो लगातार मुस्लिम से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय रहते थे। इसी सक्रियता के चलते धीरे-धीरे वे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के करीब आए। 1985 में वे बोर्ड के सदस्य बन गए। इसके बाद जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से शाहबानो मामले में एक्शन कमेटी गठित की गई तो जफरयाब को उसका संयोजक बनाया गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से शाहबानो मामले में एक्शन कमेटी के बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई गई। इसमें भी जिलानी को शामिल किया गया। थोड़े ही समय में ये अखिल भारतीय बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बन गई। जफरयाब जिलानी इसके राष्ट्रीय संयोजक चुने गए। बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई के दौरान जफरयाब जिलानी लगातार सुर्खियों में रहे। वो मामले में मजबूती से मुस्लिम पक्ष रखने के लिए जाने गए। 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाया तो जफरयाब जिलानी ने कहा था कि वो फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन इसका सम्मान करते हैं।

इसके एक साल बाद 2020 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य के तौर पर उन्होंने अयोध्या में बनने वाली मस्जिद को वक्फ अधिनियम और शरीयत कानूनों के तहत अवैध करार दिया था। हालांकि मस्जिद के लिए गठित ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने इसे ये कहकर खारिज कर दिया था कि हर कोई अपने तरह से शरीयत की व्याख्या करता है, जब जमीन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मिली है तो अवैध कैसे हो सकती है। वहीं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक रहे जफरयाब जिलानी को 2012 में यूपी सरकार ने एडीशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किया था। यूपी का अतिरिक्त महाधिवक्ता बनने के बाद अपनी नई जिम्मेदारी पर उन्होंने कहा था कि वो अपनी जिम्मेदारी और गंभीरता से अच्छी तरह वाकिफ हैं। मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने वाले जफरयाब जिलानी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कानूनी मामलों को देखते थे। वे सामाजिक कार्यों से भी जुड़े थे। लखनऊ में चल रहे कई गैर सरकारी संगठनों में भी वो लगातार काम करते थे। वो कई शैक्षणिक संस्थानों से भी जुड़े थे। मुमतात कॉलेज समेत दो अन्य कॉलेजों के ट्रस्ट से उनका नाम जुड़ा था। कई दशकों तक जफरयाब जिलानी अपनी छाप छोड़ चुके हैं। उनके जाने के सामाजिक तौर पर काफी नुकसान हुआ है।

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