Mathura: विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली को लेकर बाजारों में बढ़ने लगी रौनक, पारंपरिक परिधानों की जमकर हो रही खरीदारी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 23 Feb, 2023 10:30 AM

बरसाना विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली (Lathmar Holi) को लेकर बरसाना (Barsana) के सभी प्रतिष्ठानों के दुकान स्वामियों (Shopkeeper) में काफी हर्षोल्लास का माहौल नजर आ रहा है। वैसे तो बसंत पंचमी (Basant Panchami) से ही 40 दिवसीय होली (Holi) की धूम शुरू हो...

मथुरा(मदन सारस्वत): बरसाना विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली (Lathmar Holi) को लेकर बरसाना (Barsana) के सभी प्रतिष्ठानों के दुकान स्वामियों (Shopkeeper) में काफी हर्षोल्लास का माहौल नजर आ रहा है। वैसे तो बसंत पंचमी (Basant Panchami) से ही 40 दिवसीय होली (Holi) की धूम शुरू हो जाती है, जबकि दुकानदार (Shopkeeper) का कहना है कि 40 दिन पहले से ही प्रतिष्ठानों पर ऑर्डर लगने शुरू हो जाते हैं और हम लोग 40 दिन के अंदर करीब 250 से 300 पारंपरिक परिधान तैयार कर देते हैं जो कि होली (Holi) तक हम लोगों का इसी प्रकार से कार्य चलता रहता है।

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पारंपरिक परिधानों में धोती कुर्ता बगल बंदी सिर की पगड़ी भी की जाती है तैयार
मिली जानकारी के मुताबिक, पारंपरिक परिधानों में धोती कुर्ता बगल बंदी सिर की पगड़ी भी तैयार की जाती हैं। लठमार होली वाले दिन स्वयं श्याम श्यामा जी होली खेलने के लिए जब तैयार होती हैं तो तरह-तरह की पोशाक बदली जाती हैं, जिसमें कई रंग और गुलाल भी डाल जाता है तो दूसरी ड्रेस धारण की जाती है। जिसमें हमारी राधा रानी की पोशाकों का आर्डर करीब 50  पोशाकों का अभी तक हमारे पास ऑर्डर आ चुका है, जिसकी हमने तैयारियां पूरी कर ली हैं।

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सूरत से मंगाया जाता है राधा रानी की पोशाक का कपड़ा
दुकानदारों का कहना है कि राधा रानी की पोशाक जो हम तैयार करते हैं, वह कपड़ा हम सूरत से मंगाते हैं। करीब 2 दिन में एक पोशाक तैयार हो पाती है, जिसमें हम अपनी तैयारियां बसंत पंचमी से ही शुरू कर देते हैं। वहीं राधा रानी मंदिर सेवायत किशोरी गोस्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारी परंपरा है जो वेशभूषा है वह धोती कुर्ता बगल बंदी और पगड़ी है, जिसको हम हर होली पर नए-नए बनवा कर के होली खेलने के लिए धारण करते हैं।

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होली पर पारंपरिक परिधानों का होता है विशेष महत्व
दुकानदारों ने बताया कि होली पर परिधानों का विशेष महत्व होता है। जैसे हम धारण करते हैं हमारे श्याम श्यामा जुगल सरकार भी बगल बंदी जामा हमारे सनातन धर्म में जो पूजा का अधिकार होता है। जब पूजा करते हैं तो ऐसा वस्त्र धारण करते हैं कि दोनों बाजुओं में होकर पहना जाता है ना कि सिर में होके पहना जाए। हम लोग पूजा अर्चना में कम धारण करते हैं। बगल बंदी धोती जो हम धारण करते हैं वह पूजा अर्चना में या कहीं मंगल कार्यक्रम में जाते हैं तो यह हमारे लिए काफी सुविधाजनक भी रहता है।

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