Edited By Ramkesh,Updated: 20 Feb, 2025 12:30 PM
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उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने राज्य विधानसभा में बृहस्पतिवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 8,08,736 करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जो चालू वित्त वर्ष 2024-25 के बजट से 9.8 प्रतिशत अधिक है। खन्ना ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के बजट...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने राज्य विधानसभा में बृहस्पतिवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 8,08,736 करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जो चालू वित्त वर्ष 2024-25 के बजट से 9.8 प्रतिशत अधिक है। खन्ना ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में 22 प्रतिशत राशि अवस्थापना विकास के लिए, शिक्षा के लिए 13 प्रतिशत, कृषि व संबद्ध सेवाओं के लिए 11 प्रतिशत, चिकित्सकीय एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र के लिए छह प्रतिशत, सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए चार प्रतिशत राशि आवंटित की गई है।
उन्होंने प्रदेश को कृत्रिम मेधा (एआई) का केंद्र बनाने के लिए ‘आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स सिटी' की स्थापना और साईबर सुरक्षा के लिए ‘टेक्नोलॉजी रिसर्च ट्रान्सलेशन पार्क' की स्थापना की नई योजनाओं की भी घोषणा की। मंत्री ने बताया कि प्रदेश के प्राथमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी लैब तथा स्मार्ट क्लासेज की स्थापना पर कार्य किया जा रहा है । खन्ना ने अपने संबोधन की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में हुए विकास का उल्लेख करते हुए की। उन्होंने महाकुंभ का भी जिक्र किया।
खन्ना ने कहा कि सरकार राज्य को एक मुख्य निवेश केन्द्र तथा देश के ग्रोथ इंजन के रूप में स्थापित करने के अपने मिशन को कार्यान्वित करने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-2018 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बदहाल थी तथा जीएसडीपी मात्र 12.89 लाख करोड रुपये के स्तर पर था। उनकी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दो गुना कर दिया है। वर्ष 2024-2025 में प्रदेश की जी.एस.डी.पी. 27.51 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। हम देश में विकास दर में वृद्धि करने वाले राज्यों में अब अग्रणी स्थान पर खड़े हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023-2024 में भारत देश की जी.डी.पी. की वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत थी जबकि हमारे प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही है। वित्तीय वर्ष 2016-2017 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय मात्र 52,671 रुपये थी। मात्र तीन वर्ष की अवधि में प्रति व्यक्ति आय 2019-2020 में बढ़कर 65,660 रुपये के स्तर पर पहुँच गयी। इसके उपरान्त कोविड महामारी की विभीषिका के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को झटका लगा। इसके बाद मात्र तीन वर्ष में 14.9 प्रतिशत अप्रत्याशित वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करते हुये हम प्रति व्यक्ति आय को वर्ष 2023-2024 में 93,514 रुपये के स्तर पर ले आये हैं। इस अवधि में सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों का विकास व्यय क्रमश: 10.9, 11.9 एवं 12 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह औसत क्रमश: 13.8, 16 एवं 16.7 प्रतिशत रहा।
उन्होंने कहा कि समस्त राज्यों द्वारा कुल व्यय के प्रतिशत के रूप में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर किये गये व्यय के औसत की तुलना में, वित्तीय वर्ष 2018-2019 तथा 2021-2022 के अलावा वर्ष 2017-2018 से 2024-2025 तक उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया व्यय लगातार अधिक रहा। वर्ष 2017-2018 में सभी राज्यों के औसत अनुपात 5.0 प्रतिशत के सापेक्ष उत्तर प्रदेश का अनुपात 5.3 तथा 2024-2025 में 5.6 प्रतिशत के सापेक्ष 5.9 प्रतिशत रहा है। खन्ना ने कहा कि प्रदेश की ऋणग्रस्तता जो वर्ष 2016-2017 की समाप्ति पर जीएसडीपी का 36.7 प्रतिशत थी घट कर वर्ष 2022-2023 के वास्तविक आँकड़ों में 30.4 प्रतिशत हो गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा न केवल अपने आंतरिक संसाधनों की अभिवृद्धि पर जोर दिया गया है, अपितु विकास व्यय एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय बढ़ाया गया है और ऋणग्रस्तता में कमी लायी गई है। यह सरकार के कुशल वित्तीय प्रबन्धन का परिचायक है।