UP Nikay Chunav: OBC आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची योगी सरकार, कहा- मसौदा अधिसूचना को रद्द कर HC ने की गलती

Edited By Mamta Yadav,Updated: 29 Dec, 2022 09:35 PM

up nikay chunav yogi government reached supreme court for obc reservation

उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया। इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने 27 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव...

लखनऊ/नई दिल्ली, UP Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया। इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने 27 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए राज्य में नगर निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया था।
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राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा है कि उच्च न्यायालय पांच दिसंबर की मसौदा अधिसूचना को रद्द नहीं कर सकता है, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के अलावा ओबीसी के लिए शहरी निकाय चुनावों में सीटों का आरक्षण प्रदान किया गया था। राज्य के लिए ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड' रुचिरा गोयल के माध्यम से दायर अपील में कहा गया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग संवैधानिक रूप से संरक्षित वर्ग है और उच्च न्यायालय ने मसौदा अधिसूचना को रद्द करके गलती की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने के लिए बुधवार को पांच सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया था। इस आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह करेंगे। इस आयोग के चार सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शदाता संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं।
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निकाय चुनाव को 31 जनवरी 2023 तक संपन्न कराए सरकार: HC
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार को चुनावों की अधिसूचना ‘‘तत्काल'' देनी चाहिए क्योंकि कई नगरपालिकाओं का कार्यकाल 31 जनवरी तक समाप्त हो जाएगा। पीठ ने राज्य सरकार एवं राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश दिया था कि पिछड़ा वर्ग की सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटें मानते हुए स्थानीय निकाय चुनाव को 31 जनवरी, 2023 तक संपन्न करा लिया जाए। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले' के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया था।
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निकाय चुनाव के लिए ‘‘तत्काल'' अधिसूचना जारी करने का HC ने दिया आदेश
उच्‍च न्‍यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि उच्‍चतम न्‍यायालय ने 11 साल पहले सरकार को ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला' अपनाने की बात कही थी किंतु इतना लंबा समय बीतने के बाद भी उक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। उसने कहा था कि जब तक ‘ट्रिपल टेस्ट' में बताई गई सभी बातों को राज्य सरकार पूरा नहीं करती तब तक पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को निकाय चुनावों में आरक्षण उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। उच्च न्यायालय ने कहा था कि तमाम निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और कुछ का 31 जनवरी 2023 तक खत्म हो जाएगा, ऐसे में जबकि ट्रिपल टेस्ट की कार्यवाही कराना बहुत ही दुष्कर है और इसमें काफी लंबा वक्त लगेगा तो यही उचित होगा कि राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग स्थानीय निकाय चुनाव करने के लिए ‘‘तत्काल'' अधिसूचना जारी करे। अधिसूचना जारी करने के कारण के बारे में विस्तार से बताते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था, "भारत के संविधान के अनुच्छेद 243-यू में कहा गया है कि एक नगर पालिका का गठन करने के लिए इसकी अवधि समाप्त होने से पहले निर्वाचन पूरा किया जाएगा।''

नगर निगमों की चार महापौर सीट ओबीसी के लिए आरक्षित की थीं
अदालत ने राज्य सरकार द्वारा गत 12 दिसंबर को जारी उस शासनादेश को भी खारिज कर दिया था जिसके जरिए निकाय का कार्यकाल खत्म होने पर वहां प्रशासक नियुक्त करने की बात कही गई थी। राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में त्रिस्तरीय नगर निकाय चुनाव में 17 नगर निगमों के महापौरों, 200 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों और 545 नगर पंचायतों के लिए आरक्षित सीटों की अनंतिम सूची जारी करते हुए सात दिनों के भीतर सुझाव/आपत्तियां मांगी थी। राज्य सरकार ने पांच दिसंबर के अपने मसौदे में नगर निगमों की चार महापौर सीट ओबीसी के लिए आरक्षित की थीं, जिसमें अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन ओबीसी महिलाओं के लिए और मेरठ एवं प्रयागराज ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थे। दो सौ नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष पद पर पिछड़ा वर्ग के लिए कुल 54 सीट आरक्षित की गयी थीं जिसमें पिछड़ा वर्ग की महिलाओं के लिए 18 सीट आरक्षित थीं। राज्य की 545 नगर पंचायतों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गयीं 147 सीट में इस वर्ग की महिलाओं के लिए अध्यक्ष की 49 सीट आरक्षित की गयी थीं।

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