Edited By Ruby,Updated: 03 Aug, 2019 12:14 PM
बाराबंकीः उन्नाव गैंगरेप मामले ने इतना तूल पकड़ लिया है कि अन्य बच्चियों और माता-पिता पर इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। ऐसा ही मामला बाराबंकी से सामने आया है। यहां एक छात्रा ने पुलिस अधिक्षक से उन्नाव गैंगरेप मामले पर तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि...
बाराबंकीः उन्नाव गैंगरेप मामले ने इतना तूल पकड़ लिया है कि अन्य बच्चियों और माता-पिता पर इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। ऐसा ही मामला बाराबंकी से सामने आया है। यहां एक छात्रा ने पुलिस अधिक्षक से उन्नाव गैंगरेप मामले पर तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि उन्नाव बलात्कार पीड़िता की तरह एक्सीडेंट करवा दिया तो क्या होगा? छात्रा के सवालों का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वहीं छात्रा के परिजन खौफ में हैं और छात्रा का स्कूल जाना बंद कर दिया है।
दरअसल, बाराबंकी के आनंद भवन विद्यालय में बालिका सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम में अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तर) आरएस गौतम छात्राओं को सुरक्षा के प्रति सचेत करते हुए टोल फ्री नंबरों की जानकारी दे रहे थे, तभी एक छात्रा ने उनसे पूछा कि पुलिस से शिकायत करने पर उसका उन्नाव बलात्कार पीड़िता की तरह एक्सीडेंट करवा दिया तो क्या होगा? छात्रा ने कहा कि ‘हमने निर्भया केस देखा, फातिमा का केस देखा तो क्या गारंटी है कि अगर हम प्रोटेस्ट करते हैं… प्रोटेस्ट करना चाहिए लेकिन अगर हम प्रोटेस्ट करते हैं तो क्या हमें इंसाफ मिलेगा। मैं प्रोटेस्ट करती हूं तो क्या गारंटी है कि मैं सुरक्षित रहूंगी।
छात्रा ने यह तक कह दिया, ‘अगर हमें प्रोटेस्ट करना है तो आम इंसान के खिलाफ प्रोटेस्ट कर सकते हैं, लेकिन अगर कोई नेता या बड़ा इंसान है तो उसके खिलाफ हम कैसे प्रोटेस्ट करेंगे। छात्रा ने कहा कि अचानक उन्नाव पीड़िता के पिता की एक्सीडेंटल डेथ हो जाती है, लेकिन वो एक्सीडेंटल नहीं था।उसके बाद वो लड़की उसकी मां और वो लॉयर कार से जा रहे थे तो ट्रक ने उसे उड़ा दिया। ट्रक पर जो नंबर था उसे काले रंग से पेंट कर दिया गया था।’ वहीं छात्रा के सवालो के अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने महज यह कहकर बात टाल दी कि टोल फ्री नंबर पर फोन करने वाली हर शिकायतकर्ता की पूरी मदद की जाएगी। वहीं छात्रा की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उसके परिजन खौफ में हैं। उन्होंने छात्रा का स्कूल जाना बंद कर दिया है। साथ ही कहा है कि प्रधानचार्य से बात करने के बाद ही फैसला लेगें कि छात्रा को स्कूल भेजना है कि नहीं।