Edited By Ajay kumar,Updated: 01 Feb, 2020 01:57 PM
खेल जगत भाषा, धर्म इन सबसे परे होता है। क्रिकेट के ग्लोबल स्वरुप ने इसकी पहचान दुनिया भर में कर दी है। ऐसे में भारत में क्रिकेट के...
वाराणसीः खेल जगत भाषा, धर्म इन सबसे परे होता है। क्रिकेट के ग्लोबल स्वरुप ने इसकी पहचान दुनिया भर में कर दी है। ऐसे में भारत में क्रिकेट के अनगिनत प्रशंसक हैं। अनोखी बात उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सामने आई है। जहां वेद पाठी बटुकों द्वारा अपने संस्थान के स्थापना दिवस के मौके पर अनोखा क्रिकेट खेला जाता है।
परंपरागत कपड़ों में छात्र खेलते हैं क्रिकेट
बता दें कि काशी में संस्कृत बोलने वाले वेद पाठी बटुकों के लिए भी क्रिकेट का वार्षिक आयोजन किसी अनोखे पर्व से कम नहीं होता। बटुक अपनी परंपरागत वेश भूषा धोती- कुर्ता, टीका और त्रिपुंड में बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग व कीपिंग करते हैं तो काशी का अनोखापन मैदान में संस्कृत कमेंट्री के रूप में गूंजने लगता है।
संस्कृत में होती है कमेंट्री
क्रिकेट कमेंट्री के लिए भी संस्कृत भाषा के विशेष जानकार ही मोर्चा संभालते हैं और चौके छक्के से अधिक तालिया मैदान पर संस्कृत में उत्साह पूर्वक की जा रही कमेंट्री पर बजती हैं। शास्त्रार्थ महाविद्यालय वाराणसी की ओर से वाराणसी में अनोखी क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन प्रतिवर्ष की भांति आज भी वाराणसी में संस्कृत विवि स्थित सिगरा स्टेडियम में किया जा रहा है। इस क्रिकेट में सब कुछ सामान्य तरीके से होगा मगर खासियत यह रहेगी कि खिलाड़ी वेद पाठी बटुकों की ड्रेस परंपरागम कुर्ता और धोती होगा। जहां लोग क्रिकेट की कमेंट्री अभी तक हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में ही सुनते आए हैं वहीं सुबह 10 बजे से आयोजित होने वाली इस प्रतियोगिता में खास यह कि आयोजन के दौरान कमेंट्री भी वैदिक संस्कृत में की जाती है।