इलाज बना मौत की वजह? डायलिसिस के दौरान मरीज की मौत, लखनऊ के लोहिया संस्थान में डॉक्टरों पर उठे सवाल

Edited By Anil Kapoor,Updated: 02 Aug, 2025 11:22 AM

treatment became the cause of death patient died during dialysis

Lucknow News: लखनऊ के लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए भर्ती एक मरीज की डायलिसिस के दौरान मौत हो गई। मृतक की पहचान 36 वर्षीय सिद्धार्थ राय के रूप में हुई है, जो इंदिरा नगर सेक्टर-11 के रहने वाला था। सिद्धार्थ पिछले दो साल से नियमित...

Lucknow News: लखनऊ के लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए भर्ती एक मरीज की डायलिसिस के दौरान मौत हो गई। मृतक की पहचान 36 वर्षीय सिद्धार्थ राय के रूप में हुई है, जो इंदिरा नगर सेक्टर-11 के रहने वाला था। सिद्धार्थ पिछले दो साल से नियमित डायलिसिस करवा रहा था और किडनी ट्रांसप्लांट से पहले उन्हें 20 जुलाई को भर्ती किया गया था।

परिवार का आरोप – डॉक्टरों की लापरवाही से गई जान
सिद्धार्थ के भाई राहुल राय ने बताया कि डायलिसिस के दौरान सिद्धार्थ का ब्लड प्रेशर बहुत तेजी से बढ़ गया, लेकिन डॉक्टरों ने तब भी डायलिसिस रोकने की बजाय जारी रखी। इसी दौरान ब्रेन हैमरेज हो गया, जिससे दिमाग की नस फट गई और वह कोमा में चले गए। राहुल ने आरोप लगाया कि जब मरीज की हालत बिगड़ी, तब भी उन्हें यूरोलॉजी से न्यूरो वार्ड में वक्त पर शिफ्ट नहीं किया गया, जिससे इलाज में देरी हुई।

मौत के समय को लेकर भी उठाए सवाल
परिजनों के मुताबिक, उन्हें सुबह 9:20 बजे सिद्धार्थ की मौत की सूचना दी गई थी और उस समय तक सभी मेडिकल उपकरण हटा दिए गए थे। लेकिन अस्पताल की तरफ से जो मृत्यु प्रमाणपत्र दिया गया, उसमें मृत्यु का समय 9:50 बजे लिखा था। परिवार का कहना है कि यह भी लापरवाही की एक और बड़ी मिसाल है। परिजनों ने पूरे मामले की शिकायत उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से करने की बात कही है।

संस्थान की सफाई – जांच के आदेश दिए गए
इस मामले में लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. भुवन तिवारी ने बताया कि सिद्धार्थ को ट्रांसप्लांट से पहले भर्ती किया गया था और डायलिसिस के दौरान ही अचानक ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ गया, जिससे ब्रेन हैमरेज हुआ और उनकी मौत हो गई। प्रवक्ता ने कहा कि मौत की असली वजह जानने के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं। फिलहाल अस्पताल प्रबंधन ने मामले की पूरी जांच कराने की बात कही है।

परिवार सदमे में, उठे सवाल
सिद्धार्थ की मौत से परिवार में कोहराम मच गया है। परिजनों का कहना है कि अगर समय पर सही इलाज मिलता और सावधानी बरती जाती, तो शायद सिद्धार्थ की जान बचाई जा सकती थी। इस घटना ने लोहिया संस्थान की कार्यप्रणाली और मेडिकल लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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