Edited By Imran,Updated: 28 Jul, 2025 01:19 PM

उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा मेडिकल संस्थान SGPGI अब इतिहास रचने जा रहा है। दरअसल, PGI अब हार्ट ट्रांसप्लांट करने के लिए तैयार है। प्राइवेट संस्थानों में इस सर्जरी को करने के लिए 1 करोड़ तक की फीस ली जाती है लेकिन लखनऊ के PGI हॉस्पिटल में केवल 5 लाख...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा मेडिकल संस्थान SGPGI अब इतिहास रचने जा रहा है। दरअसल, PGI अब हार्ट ट्रांसप्लांट करने के लिए तैयार है। प्राइवेट संस्थानों में इस सर्जरी को करने के लिए 1 करोड़ तक की फीस ली जाती है लेकिन लखनऊ के PGI हॉस्पिटल में केवल 5 लाख में हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी किया जाएगा।
आपको बता दें कि अभी तक उत्तर प्रदेश के किसी भी संस्थान में हार्ट ट्रांसप्लांट की सर्जरी नहीं की जाती थी लेकिन अब यह सर्जरी लखनऊ के PGI हॉस्पिटल में होने जा रही है। संस्थान के हार्ट सर्जरी डिपार्टमेंट (CVTS) के डॉक्टर्स ने इससे जुड़ी सभी तैयारियां कर ली हैं।
3 मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट के इंतजार में
SGPGI के CVTS डिपार्टमेंट के प्रमुख और देश के दिग्गज हार्ट सर्जन प्रो. एसके अग्रवाल ने बताया- यूपी के 3 मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट के इंतजार में है। यूपी के डोनर हार्ट न मिलने की वजह से इसमें देरी हो रही है। ऐसे में हमें देश के अन्य राज्यों से हार्ट मिलने की आस है। सूटेबल हार्ट मिलते ही मरीज की हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी की जा सकेगी। संजय गांधी पीजीआई में दिल प्रत्यारोपित करने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। इसके लिए तीन मरीज भी पंजीकृत हो गए हैं। ब्रेनडेड व्यक्ति से अंगदान मिलते ही प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। संस्थान के कार्डियोवैस्कुलर एंड थोरेसिक सर्जरी विभाग के 38वें स्थापना दिवस समारोह में विभागाध्यक्ष प्रो. एसके अग्रवाल ने यह जानकारी दी।
दिल की बीमारी से सबसे ज्यादा मौत
प्रो. एसके अग्रवाल ने बताया कि अभी भी देश में सबसे ज्यादा मौतों की वजह दिल संबंधी बीमारियां ही हैं। इनमें से काफी लोगों की जान दिल प्रत्यारोपित करके बचाई जा सकती है। हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए ऐसा दिल चाहिए जो कम से कम 90 फीसदी तक कार्यरत हो।
दिल प्रत्यारोपण करने के लिए ब्रेनडेड व्यक्ति की जरूरत
दिल प्रत्यारोपण करने के लिए ब्रेनडेड व्यक्ति की जरूरत होती है। जागरुकता की कमी की वजह से अभी भी लोग अंगदान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इसी वजह से प्रत्यारोपण शुरू नहीं हो पाया है। विभाग ने प्रत्यारोपण की सभी तैयारियां कर लीं हैं। डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण का प्रशिक्षण भी हासिल कर लिया है।