लोकतंत्र में बहुमत नहीं, लोकमत होता है बलवान: अखिलेश

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 22 Jan, 2020 11:20 AM

there is no majority in democracy lokmat is strong akhilesh

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र में केवल बहुमत नहीं लोकमत की भी अहम भूमिका होती है। यादव ने कहा कि...

लखनऊः नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र में केवल बहुमत नहीं लोकमत की भी अहम भूमिका होती है। यादव ने कहा कि शाह का यह कहना कि हर हाल में हम सीएए, एनआरसी, एनपीआर को लागू करेंगे जताता है कि भाजपा की मंशा अपने बहुमत के रोड रोलर से जनता को कुचलने का तानाशाही कदम उठाने की है। उन्हें समझ लेना चाहिए कि अहंकार की भाषा से विपक्ष दबने वाला नहीं है। दूसरों को नसीहतें देने वाले पहले खुद इतिहास पढ़ लें कि जनता के विरोध की आंधी के सामने कोई नहीं टिक पाया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वास्तविकता यह है कि दुबारा सत्ता में आने पर भाजपा नेतृत्व को जरूरत से ज्यादा घमण्ड हो गया है। लोकतंत्र में केवल बहुमत नहीं लोकमत की भी अहम भूमिका होती है। लोकमत की अनदेखी से सत्ता की साख नहीं रहती है। भाजपा की जिन कुनीतियों का देशव्यापी विरोध हो रहा है, उसके प्रति संवेदनहीनता का प्रदर्शन लोकतंत्र की स्वस्थ भावना नहीं और यह संविधान की मूलभावना की अवमानना करना भी है। सच तो यह है कि देश की अर्थव्यवस्था गम्भीर संकट के दौर से गुजर रही है। मंदी की छाया गहरी होती जा रही है। नोटबंदी-जीएसटी ने उद्योगधंधे चौपट कर दिए हैं।

एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि एक साल पहले की तुलना में 16 लाख नौकरियां कम होने जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो बताता है कि 2018 में हर दिन औसतन 35 बेरोजगार और 36 स्वरोजगार वालों ने आत्महत्याएं की। इन दोनों श्रेणियों के 26,085 लोगों ने अपनी जाने गंवाई। देश में कुल 1,34,516 लोगों ने फांसी लगाई है। इनमें कृषि क्षेत्र से 10,349 लोगों ने आत्महत्या की।

यादव ने कहा कि देश के सामने जो गम्भीर चुनौतियां हैं, उनका हल निकालने में भाजपा की न तो रूचि है और नहीं नीति है। वह जनता को मूल समस्याओं से भटकाने के लिए ही सीएए, एनआरसी, एनपीआर जैसे मामले उछालकर सत्ता में अपनी मनमानी कायम रखना चाहती है। भाजपा की सरकार और नेतृत्व की बदनीयती को जनता भलीभांति समझ गई है। इसलिए भाजपा की काठ की हांडी अब दुबारा चढ़ने वाली नहीं है।




 

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