Edited By Pooja Gill,Updated: 03 May, 2025 03:29 PM

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अविवादित वरासत के मामलों का निस्तारण अधिकतम 15 कार्यदिवस के भीतर किया जाए। राजस्व विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक...
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अविवादित वरासत के मामलों का निस्तारण अधिकतम 15 कार्यदिवस के भीतर किया जाए। राजस्व विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में उन्होंने दो महत्वपूर्ण बिंदुओं ‘राजस्व वादों के समयबद्ध निस्तारण और भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण' को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि इन कार्यों को प्रत्येक स्तर पर तीव्र गति से पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि भूमि संबंधी विवादों का शीघ्र समाधान न केवल जनविश्वास, बल्कि राज्य में निवेश और विकास के लिए भी आवश्यक है, वहीं लैंड रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण पारदर्शी, भ्रष्टाचार-मुक्त और उत्तरदायी शासन प्रणाली की नींव है।
'शेष भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण शीघ्र पूर्ण किया जाए'
सीएम योगी ने निर्देश दिया कि शेष भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण शीघ्र पूर्ण किया जाए और शहरी क्षेत्रों का लैंड रिकॉडर् तैयार कर उसे प्राथमिकता से ऑनलाइन पोटर्ल पर सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने राजस्व परिषद के पोटर्ल की रीडिजाइनिंग की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह अधिक उपयोगकर्ता अनुकूल और परिणाममूलक होना चाहिए। साथ ही लेखपाल से लेकर आयुक्त स्तर तक एकीकृत डैशबोडर् विकसित करने का निर्देश दिया, ताकि विभागीय निगरानी सरल हो सके और आमजन को सीधा लाभ मिले।
'लैंडयूज डेटा को खतौनी पर प्रदर्शित किया जाए'
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्राधिकरणों के लैंडयूज डेटा को खतौनी पर प्रदर्शित किया जाए और धारा 80 के अंतर्गत भू-उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया को सरल व पारदर्शी बनाया जाए। नामांतरण वादों को पूर्णत: ऑटोमेट किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे नागरिकों को सुगमता और समयबद्ध न्याय प्राप्त होगा। उन्होंने चकबंदी प्रक्रिया में तकनीकी हस्तक्षेप और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, साथ ही सावधान किया कि चकबंदी की जटिलताओं के कारण गंभीर सामाजिक विवाद जन्म ले सकते हैं, अत: इसे अत्यंत संवेदनशीलता से निपटाया जाए। योगी ने यह भी स्पष्ट किया कि रियल टाइम खतौनी, आधार सीडिंग, किसान रजिस्ट्री, पैमाइश और खसरा पड़ताल से जुड़े सभी लंबित प्रकरणों का समाधान तय समय सीमा में अनिवार्य रूप से किया जाए। इसके लिए आवश्यकता अनुसार, अतिरिक्त मानव संसाधन की व्यवस्था की जाए।