लखनऊ विश्वविद्यालय में 'CAA' बतौर विषय पढ़ाने की तैयारी, विपक्ष कर रहा विरोध

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 25 Jan, 2020 11:51 AM

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नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन और विरोध में हो रहे धरनों प्रदर्शनों के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) अपने छात्रों को ''सीएए'' बतौर विषय पढ़ाने की तैयारी कर रहा है और इसे बाकायदा पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किए जाने की योजना है। विश्वविद्यालय...

लखनऊः नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन और विरोध में हो रहे धरनों प्रदर्शनों के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) अपने छात्रों को 'सीएए' बतौर विषय पढ़ाने की तैयारी कर रहा है और इसे बाकायदा पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किए जाने की योजना है। विश्वविद्यालय का राजनीति शास्त्र विभाग 'सीएए' को पाठयक्रम में शामिल करेगा। इस आशय का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

राजनीति शास्त्र विभाग की प्रोफेसर शशि शुक्ला ने दिया ये प्रस्ताव
राजनीति शास्त्र विभाग की प्रोफेसर शशि शुक्ला ने बातचीत में कहा, ''हम लोग अपने विभाग में संविधान और नागरिकता पढाते हैं। ये भारतीय राजनीति का एक समसामयिक मुद्दा है तो हम लोग चाहते हैं कि इसको अपने छात्र-छात्राओं को हम लोग पढायें।'' उन्होंने कहा, ''ये अभी प्रस्ताव के स्तर पर है। यह अभी पूरी अकादमिक प्रक्रिया से होकर गुजरेगा। उसके बाद पाठयक्रम का हिस्सा बनेगा।'' 

फिलहाल यह पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं सीएए-प्रोफेसर शशि
प्रोफेसर शशि ने कहा, ''तो पहली चीज मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि फिलहाल यह पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है, लेकिन फिर भी मैं स्पष्ट कर दूं कि हम लोग नागरिकता तो पढाते ही हैं ... संविधान तो हम पढाते ही हैं । दूसरी बात ये है कि कोई पाठ्यक्रम जैसी चीज शुरू नहीं कर रहे हैं ।हमारे यहां पेपर ही है इंडियन पालिटिक्स का। उसमें हम समसामयिक मुद्दे जो पढ़ाते हैं, उसमें अबकी बार इसको भी शामिल कर देंगे।'' उन्होंने कहा, ''बस ये है हमारा प्रस्ताव जो शिक्षकों ने तय किया है। प्रस्ताव राजनीति शास्त्र विभाग की ओर से है। आप देख ही रहे हैं कि इस पर इतनी चर्चा हो रही है।'' 

उचित अकादमिक संस्था की मंजूरी पर पढ़ाया जाएगा CAA विषय 
प्रोफेसर ने कहा कि सबसे बडी बात है कि लोगों को जानकारी भी है और लोगों को गलत जानकारी भी है। विशेषकर हमारे छात्र छात्राएं ये सवाल लेकर हमारे पास आते हैं कि उन लोगों से हर जगह पूछा जाता है इसके बारे में। उन्होंने कहा, ''हम लोग सोचते हैं कि इसको एक विषय के रूप में शुरू कर देंगे। विषय में हमारे पास कई पेपर हैं इसलिए हमारा प्रस्ताव है कि हम सीएए को भी कई विषयों में से एक विषय के रूप में शामिल करेंगे।'' जब सवाल किया गया कि कब तक सीएए को पढाना चालू किया जाएगा, प्रोफेसर शशि ने कहा कि इसमें कुछ समय लगेगा। क्या अगले सत्र से इसे शुरू कर दिया जाएगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर उचित अकादमिक संस्था से इसे मंजूरी मिल गयी तो इसे अगले सत्र से शुरू किया जा सकता है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने किया इसका विरोध
उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस मुद्दे पर टवीट किया, ''सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित है।'' उन्होंने कहा, ''बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।'' 


 

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