Edited By Ajay kumar,Updated: 29 Jun, 2024 08:10 PM
![now daughter in law will also get rights like son and daughter](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_6image_07_46_226173303yogi-ll.jpg)
नगर विकास विभाग ने निकायों में विधवा पुत्र वधू को भी मृतक आश्रित मानने का आदेश जारी किया है। ऐसे में राज्य सरकार ने पुत्र-पुत्री की तरह अब बहू को भी समान हक दिलाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।
लखनऊ : नगर विकास विभाग ने निकायों में विधवा पुत्र वधू को भी मृतक आश्रित मानने का आदेश जारी किया है। ऐसे में राज्य सरकार ने पुत्र-पुत्री की तरह अब बहू को भी समान हक दिलाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इसी के तहत अब नगर विकास विभाग ने निकायों में कार्यरत अकेंद्रीयत सेवा के कार्मियों की विधवा पुत्रवधू को राज्य कर्मियों के समान आश्रितों के बराबर हक देने का निर्णय लिया। सरकार के इस निर्णय से हजारों लोगों को लाभ पहुंचना संभव है।
क्या कहा गया है शासनादेश में?
शासनादेश में कहा गया है कि राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती (12वां संशोधन) नियमावली-2021 जारी किया है। इसमें पुत्र व पुत्रियों की तरह विधवा पुत्रवधु को समान हक देने की बात कही गई है। निकाय स्वायत्तशासी संस्था की श्रेणी में आते हैं। इसलिए राज्य सरकार द्वारा जारी नीतियों का लाभ निकायों को तब तक नहीं मिल पाता है, जब तक इसे स्वीकार न किया जाए।
प्रमुख सचिव नगर विकास ने जारी किए शासनादेश
कई परिवार ऐसे हैं जहां कमाने वाले की मृत्यु के बाद उसके बेटे की भी दुर्घटना अथवा अन्य कारण से आकस्मिक मौत होने पर मुश्किलें बढ़ जाती हैं। ऐसे परिवारों की बहू को नौकरी के लिए सरकार के पास काफी सिफारिशें आती रहती थीं। इस संबंध में नगर विकास विभाग ने उ.प्र. सेवाकाल में पालिका (अकेंद्रीयत) सेवानिवृत्त लाभ नियमावली-1984 में कुटुंब की परिभाषा में बदलाव करते हुए मृतक कर्मी की आश्रित पुत्रवधू को भी शामिल कर दिया है। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने इस संबंध में शासनादेश जारी करते हुए निकायों को निर्देश भेज दिया है।