CM योगी ने अधिकारियों की बुलाई बड़ी बैठक, कांवड़ यात्रा सहित कई मुद्दों पर होगी चर्चा

Edited By Ramkesh,Updated: 30 Jun, 2024 03:20 PM

cm yogi called a big meeting of officials many issues including kanwar

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज शाम सात बजे अधिकारियों की बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में नए मुख्य सचिव बनाए गए मनोज कुमार सिंह, समेत प्रदेश के सभी आला अधिकारी शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी कांवड़ यात्रा की तैयारियों की...

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज शाम सात बजे अधिकारियों की बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में नए मुख्य सचिव बनाए गए मनोज कुमार सिंह, समेत प्रदेश के सभी आला अधिकारी शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी कांवड़ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। यात्रा के दौरान शिव भक्तों को कोई तकलीफ न हो, उनके स्वागत और सुरक्षा की तैयारियां के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही अधिकारियों को दिशा-निर्देश देंगे।

वहीं इस बैठक से पहले डीजीपी प्रशांत कुमार ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कानून व्यवस्था की समीक्षा के दौरान डीपीजी ने कांवड़ यात्रा और मोहर्रम जुलूस को लेकर निर्देश दिए। उन्होंने सभी एडीजी जोन, पुलिस आयुक्त, आईजी, डीआईजी, एसएसपी, एसपी के साथ की कानून को लेकर तैयारियां की भी समीक्षा की। डीजीपी ने कहा कि किसी नई परंपरा की अनुमति न दी जाए। कांवड़ यात्रा के मार्गों को पहले से ही चेक करें। उन्होंने अति संवेदनशील स्थलों पर चेकिंग बढ़ाई जाने के निर्देश दिए। इंटरनेट मीडिया की 24 घंटे निगरानी करने के कहा।

आप को बता दें कि 2024 की कांवड़ यात्रा 22 जुलाई, सोमवार से शुरू हो रही है। सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक किया जाता है। चूंकि इस साल श्रावण मास अधिकमास है ,इसलिए दो मासिक शिवरात्रि (सावन शिवरात्रि) होंगी। पहली शिवरात्रि 15 जुलाई को होगी और जल का समय 16 जुलाई को सुबह 12:11 बजे से 12:54 बजे के बीच होगा। दूसरी शिवरात्रि 14 अगस्त को होगी और जल का समय 15 अगस्त को सुबह 12:09 बजे से 12:54 बजे के बीच होगा।

कांवड़ यात्रा कब है?
कांवड़ यात्रा हिंदू महीने श्रावण के दौरान होती है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई से अगस्त के महीने के अनुरूप है। पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार यह श्रावण महीने की प्रदीपदा तिथि (पहले दिन) से शुरू होती है।हालाँकि, बिहार और झारखंड राज्य में क्रमशः सुल्तानगंज से देवघर तक कांवड़ यात्रा कांवड़ियों द्वारा पूरे वर्ष की जाती है। भक्तगण अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ नंगे पांव 100 किमी की यह यात्रा करते हैं।

2 करोड़ श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में होते हैं शामिल 
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कांवड़ यात्रा सबसे पहले भादो महीने में मनाई जाती थी, लेकिन वर्ष 1960 में श्रावण महीने में मेला शुरू होने के बाद से यह यात्रा इसी महीने से शुरू होकर दशहरा तक चलती है। कांवड़ यात्रा मुख्य रूप से इसी समय होती है, लेकिन महाशिवरात्रि और बसंत पंचमी जैसे महत्वपूर्ण हिंदू अवसरों पर कांवड़ियों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। आंकड़ों के अनुसार, हर साल करीब 2 करोड़ श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा पर निकलते हैं। 'श्रावण मेला' के नाम से मशहूर यह मेला उत्तर भारत के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है। कांवड़ यात्रा सिर्फ पुरुषों तक ही सीमित नहीं है, इसमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में भाग लेती हैं।

कांवड़ यात्रा: समय, अनुष्ठान और महत्व
कांवड़ यात्रा या कावड़ यात्रा भगवान शिव के भक्तों द्वारा प्रतिवर्ष की जाने वाली एक शुभ तीर्थयात्रा है। इस यात्रा को जल यात्रा भी कहा जाता है क्योंकि इस प्रथा में 'कांवरिया' या कांवड़िया के रूप में जाने जाने वाले लोग बिहार के सुल्तानगंज, उत्तराखंड के गंगोत्री और गौमुख और हरिद्वार जैसे हिंदू तीर्थ स्थानों पर पवित्र गंगा से जल लाने के लिए जाते हैं और फिर अपने गृहनगर में शिव मंदिरों में 'गंगा जल' चढ़ाते हैं।

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