Edited By Ramkesh,Updated: 07 Dec, 2025 07:45 PM

एक तरफ जहां बाबरी मस्जिद के विध्वंस की बरसी पर TMC से निकाले गए विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव रखी। वहीं, सपा प्रमुख Akhilesh Yadav ने शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ाई। जिसको लोग अपने-अपने नजरिए से देखने लगे। तारीख...
फतेहपुर: एक तरफ जहां बाबरी मस्जिद के विध्वंस की बरसी पर TMC से निकाले गए विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव रखी। वहीं, सपा प्रमुख Akhilesh Yadav ने शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ाई। जिसको लोग अपने-अपने नजरिए से देखने लगे। तारीख 6 दिसंबर साल 1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस को 33 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी जब दिसंबर की 6 तारीख आती है।
सबकी यादें ताजा हो जाती है और बयानों का अंबार लग जाता है। तुष्टिकरण,सांप्रदायिक न जाने क्या-क्या बातों से माहौल गरमा जाता है सियासत रंगों में बंटती नजर आती है...इस बार भी 6 दिसंबर की तारीख को ऐसा ही देखने को मिला..जब अयोध्या से लगभग 900 किलोमीटर दूर टीएमसी से निकाले गए विधायक हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद की नींव रखी...फिर क्या इस घटना पर नेताओं ने अपनी-अपनी राय अपने अंदाज में रखी...हालांकि ये बात अलग है मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में भारी भीड़ देखने को मिली।
जहां मीडिया में हुमायूं कबीर और मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव रखने की खबर प्रमुखता से दिखाई दी..वहीं एक बाबरी मस्जिद के विध्वंस की बरसी के दिन अखिलेश यादव को लेकर भी छाई रही...खबर ये कि अखिलेश ने ठीक वर्षी के दिन शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर चादर चढने को चुना..उनके साथ उनकी पत्नी सांसद डिंपल यादव और जया बच्चन भी मौजूद रही...इस घटना को अब लोग राजनीतिक एंगल से देखने लगे...कुछ लोगों का मानना है, ये सब मुस्लिम वोटों की राजनीति है...तभी तो अखिलेश ने ठीक उसी दिन फतेहपुर शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पहुंचकर चादर चढ़ाई जिस दिन बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ था...हालांकि सपा मुखिया ने कहा कि फतेहपुर सीकरी हमारी मिली-जुली संस्कृति याद दिलाता है..हम मिलजुल कर रहते रहे हैं।
अखिलेश की चाहे फतेहपुर सीकरी जाने की कैसी भी नीयत रही होगी...लेकिन, 6 दिसंबर की तारीख खुद में इतने विवाद समेटे हुए है कि सवाल तो उठ ही जाते है....तभी तो की हिंदू लोगों ने अखिलेश के दौरे पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि, आज तो रुक ही जाते...वहीं कुछ सियासी पंडितों ने इसे 2027 विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा..लोगों का मानना अखिलेश के लिए सियासत की कुर्सी पाना बिना मुस्लिमों के संभव नहीं है..ऐसे में अखिलेश ने मंदिर जाने की जगह दरगाह जाना मुफीद समझा..ताकि मुस्लिमों के बीच अच्छा मैसेज जा सके...वैसे भी अखिलेश लंबे समय से पीडीए का नारा देते रहते हैं...जिसमें A का मतलब अल्पसंख्यक।
बहरहाल, अखिलेश का ठीक 6 दिसंबर को दरगाह पर चादर चढ़ाना सियासी मकसद हो या सांप्रदायिकता के खिलाफ मैसेज देना ये तो वही जाने..लेकिन इतना जरुर है 6 दिसंबर की तारीख अपने आप में इतने विवाद समेटे हुए है कि इससे किसी भी नेता, जो प्रमुखता से मीडिया में छाया रहता हो, बचना मुश्किल...और अखिलेश जैसा मुखर नेता हो तो इतना तो बनता ही है।