Edited By Imran,Updated: 01 Apr, 2024 07:09 PM
सीतापुर लोकसभा सीट का इतिहास काफी पुराना है..इस सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए। 1952 का चुनाव गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाली उमा नेहरू ने जीता था। 1957 का चुनाव भी उमा नेहरू ने ही जीता।
Loksabha Election 2024: सीतापुर लोकसभा सीट का इतिहास काफी पुराना है..इस सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए। 1952 का चुनाव गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाली उमा नेहरू ने जीता था। 1957 का चुनाव भी उमा नेहरू ने ही जीता। लेकिन 1962 और 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ ने यहां अपनी उपस्थिती दर्ज कराई। कांग्रेस 1971 में फिर इस सीट पर वापस आई। इस दौरान पूरे देश में इमरजेंसी लग गई। और इसके बाद 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद 1980 , 1984 और 1989 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की। लेकिन 1991 में इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की।
इसके बाद 1996 में समाजवादी पार्टी1998 में फिर से बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद 1999 से लेकर 2009 तक लगातार ये सीट बसपा के पास रही। लेकिन 2014 और 2019 में मोदी लहर में ये सीट बीजेपी के राजेश वर्मा ने जीत ली। वहीं, इस बार इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने के लिए बीजेपी ने एक बार राजेश वर्मा को मैदान में उतारा है, और इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के खाते में गई इस सीट पर कांग्रेस ने बसपा से कांग्रेस में आए नकुल दुबे पर दांव खेला है। वहीं, बसपा ने अभी इस सीट के लिए उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है।
सीतापुर में कुल 5 विधानसभा सीटें
सीतापुर में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं, आइए पहले आपको ग्राफिक्स के जरिए बताते हैं कि सीतापुर जिले की कौन-कौन सी विधानसभा सीटें सीतापुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं।
2022 के विधानसभा चुनाव में इनमें से सिर्फ लहरपुर सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी। सीतापुर, बिसवां, महमूदाबाद और सेवता विधानसभा सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी।
2019 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार सीतापुर सीट पर मतदाताओं की संख्या
2019 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार सीतापुर लोकसभा सीट पर कुल 16 लाख 53 हज़ार 454 मतदाता है, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 83 हजार 895 हैं। जबकि महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 69 हज़ार 582 हैं। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 68 है।
एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
अब अगर एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2019 में इस सीट पर बीजेपी के राजेश वर्मा ने 5 लाख 14 हजार 528 वोट हासिल कर दूसरी बार जीत का परचम लहराया था। वहीं, बसपा के नकुल दुबे 4 लाख 13 हजार 695 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के कैसर जहां रहे थे। कैसर जहां को कुल 96 हजार 18 वोट मिले थे।
एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
सीतापुर लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राजेश वर्मा ने बसपा से ये सीट जीत ली थी। बसपा लगातार 3 बार यहां से जीत दर्ज कर चुकी थी। बीजेपी के राजेश वर्मा को कुल 4 लाख 17 हज़ार 546 वोट मिले थे। जबकि बसपा से चुनाव लड़ रही केसर जहां को 3 लाख 66 हजार 519 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर सपा के भरत त्रिपाठी रहे। भरत को कुल 1 लाख 56 हज़ार 170 वोट मिले थे।
एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
2009 में सीतापुर लोकसभा सीट पर लड़ाई सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच थी। लेकिन लगातार 2 बार से चुनाव जीत रही बसपा की केसर जहां एक बार फिर 2009 में यहां से चुनाव जीतीं। केसर जहां ने सपा के महेंद्र सिंह वर्मा को चुनाव हराया था। केसर जहां को इस चुनाव में कुल 2 लाख 41 हज़ार 106 वोट मिले थे। वहीं सपा के महेंद्र वर्मा को कुल 2 लाख 21 हज़ार 474 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के राम लाल राही रहे। राम लाल को कुल 1 लाख 17 हज़ार 281 वोट मिले थे।
एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
2004 में सीतापुर लोकसभा सीट पर बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे राजेश वर्मा ने चुनाव जीता था। राजेश वर्मा ने सपा के मुख्तार अनीस को हराया था। राजेश वर्मा को कुल 1 लाख 71 हज़ार 733 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर रहे मुख्तार अनीस को कुल 1 लाख 66 हज़ार 499 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बीजेपी के जनार्दन प्रसाद मिश्र रहे। जनार्दन को कुल 1 लाख 17 हज़ार 822 वोट मिले थे।
इस सीट पर करीब 18 लाख वोटर्स हैं
सीतापुर लोकसभा सीट का अधिकतर हिस्सा ग्रामीण है, इस सीट पर करीब 18 लाख वोटर्स हैं। इनमें से 81 प्रतिशत वोटर ग्रामीण हैं, जबकि शहरी एरिया मात्र 19 फीसदी ही है। वहीं, अगर जातीय समीकरणों की बात करें तो इस सीट पर करीब 27 फीसदी दलित वोटर हैं। इसके साथ ही कुर्मी वोटर्स की संख्या करीब 12 फीसदी है। अन्य पिछड़े वर्गों की तादाद भी 28 प्रतिशत के आसपास है, ऐसे में गांवों में रहने वाले दलित- पिछड़े वोटर किसी भी उम्मीदवार को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं।