हौसलों को सलाम! 6 साल पहले पति की मौत के बाद सैनिटाइजर बेचकर किया गुजारा, आज 70 लोगों को रोजगार दे रही रचना

Edited By Mamta Yadav,Updated: 28 Aug, 2023 12:29 AM

lived by selling sanitizer after husband s death 6 years ago

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में रहने वाली एक महिला करीब 6 साल पहले अपने पति की मौत के बाद असहाय हो गई थी और कोरोना वायरस महामारी के दौरान सैनिटाइजर बेचकर नाबालिग बेटियों की परवरिश कर रही थी, लेकिन अब वह अपने हौसलों की बदौलत पेपर बैग उद्योग शुरू...

Shahjahanpur News: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में रहने वाली एक महिला करीब 6 साल पहले अपने पति की मौत के बाद असहाय हो गई थी और कोरोना वायरस महामारी के दौरान सैनिटाइजर बेचकर नाबालिग बेटियों की परवरिश कर रही थी, लेकिन अब वह अपने हौसलों की बदौलत पेपर बैग उद्योग शुरू करके लगभग 70 लोगों को रोजगार मुहैया करा रही है।
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कृष्णा नगर निवासी रचना प्रशांत मोहन (49) ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत मिली राशि से पेपर बैग उद्योग की शुरुआत की। उसने शाहजहांपुर में जो पेपर बैग निर्माण इकाई स्थापित की, वह 70 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रही है। रचना ने 2017 में केमिकल की छोटी-सी दुकान चलाने वाले अपने पति प्रशांत मोहन को बीमारी के कारण खो दिया था। परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य की मौत के बाद दो बच्चों की मां रचना असहाय हो गई थी। इस दुख में भी अवसर को भांपते हुए, उसके रिश्तेदारों ने उस घर को खाली करने के लिए उसके खिलाफ मामले दर्ज किए, जिसमें वह रहती है। रचना ने कहा, "मेरे ससुराल वाले चाहते थे कि मैं घर खाली कर दूं और इस तरह संपत्ति के स्वामित्व के कई मामले दायर किए।" रचना ने बताया कि पति की मौत और वित्तीय संकट के बोझ के साथ आए अदालती मामलों ने उसे लगभग तोड़ दिया था। उसने कहा, "मैं नौकरी के लिए दर-दर भटकती रही, लेकिन कोई ऐसा काम नहीं मिला, जिससे मुझे अपने बच्चों की रोजीरोटी का इंतजाम करने और घर चलाने में मदद मिल सके। जब कोविड-19 महामारी आई, तो हालात और खराब हो गए। उस कठिन समय में मैंने कुछ दिन अपनी बुजुर्ग मां के सहारे बिताए।''
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रचना ने बताया, "इसके बाद मैंने सैनिटाइजर बेचना शुरू किया, जिसकी महामारी के दौरान बहुत मांग थी और अपना काम तब तक जारी रखा, जब तक कि स्थानीय प्रशासन की मदद से 25 लाख रुपये का ऋण नहीं मिल गया।'' उसने कहा, "मैंने उस राशि का इस्तेमाल पेपर बैग निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए किया। मैंने विक्रेताओं को बैग वितरित करना शुरू किया। मुझे तब समर्थन मिला, जब स्थानीय प्रशासन ने प्लास्टिक से बने बैग के स्थान पर पेपर बैग को लोकप्रिय बनाने में मेरी मदद की।" इस समय रचना की फैक्टरी में एक दर्जन लोग काम करते हैं, जबकि महिलाएं पैकेट को घर ले जाकर लिफाफे बनाती हैं और उनमें हैंडल लगाती हैं। इससे ये महिलाएं हर दिन 400 रुपये तक कमा लेती हैं। रचना ने कहा, "हम सभी आकार और गुणवत्ता के पेपर बैग तैयार करते हैं, जिनकी शाहजहांपुर के विभिन्न हिस्सों और आसपास के छह जिलों में आपूर्ति की जाती है। अभी लगभग 70 लोग मेरे साथ काम कर रहे हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं।"

जिला उद्योग केंद्र के सहायक महाप्रबंधक अरुण कुमार पांडेय ने बताया कि प्रशासन ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत रचना को 25 लाख रुपये दिए थे, जिसका उसने सदुपयोग किया और कई लोगों को रोजगार भी दिया। पांडेय ने कहा, "रचना की कहानी वास्तव में लोगों के लिए प्रेरणा है, खासकर युवाओं के लिए, जो खुद का व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं।"

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