Akshaya Tritiya 2025: हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास 70 साल बाद पहली बार मंदिर परिसर से निकलेंगे बाहर, रामलला के करेंगे दर्शन; टूटेगी परंपरा

Edited By Mamta Yadav,Updated: 28 Apr, 2025 05:16 AM

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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन 70 वर्षीय महंत प्रेमदास महाराज अक्षय तृतीया को श्रीरामजन्मभूमि पर दिव्य और भव्य मंदिर में विराजमान रामलला का दर्शन करेंगे जो हनुमानगढ़ी के इतिहास में यह पहला अवसर...

Ayodhya News: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन 70 वर्षीय महंत प्रेमदास महाराज अक्षय तृतीया को श्रीरामजन्मभूमि पर दिव्य और भव्य मंदिर में विराजमान रामलला का दर्शन करेंगे जो हनुमानगढ़ी के इतिहास में यह पहला अवसर होगा।
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हनुमानगढ़ी के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगी नई परंपरा
प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ने रविवार को हनुमानगढ़ी मंदिर परिसर में एक चैमल से बातचीत करते हुए बताया कि 30 अप्रैल यानी अक्षय तृतीया को राम मंदिर में विराजमान रामलला का दर्शन करेंगे जो कि हनुमानगढ़ी के इतिहास में यह पहला अवसर होगा। हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन बावन बीघा के बाहर जा कर के रामलला का दर्शन करने जा रहे हैं। इससे एक नई परम्परा की शुरुआत हो रही है, जो सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो जायेगा। इस दौरान हाथी, ऊंट और घोड़े भी शामिल होंगे। मुख्य पुजारी के साथ नागा साधु, उनके शिष्य, भक्त और स्थानीय व्यापारी भी होंगे।

‘गद्दीनशीं’ को जीवन भर मंदिर से बाहर जाने की होती है मनाही
गौरतलब है कि ‘गद्दी नशीं’ की उपाधि प्राप्त महंत प्रेम दास 70 साल के हैं और अपने जीवन में वह 52 बीघा क्षेत्र में फैले मंदिर परिसर को छोड़कर कभी बाहर नहीं गए हैं। सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, ‘गद्दी नशीं’ को जीवन भर मंदिर से बाहर जाने की मनाही होती है। जानकारी के अनुसार 18वीं शताब्दी में मंदिर की स्थापना के साथ शुरू हुई परंपरा इतनी सख्त थी कि गद्दी नशीं को स्थानीय अदालतों में भी पेश होने से रोक दिया जाता था। परंपरा से यह बदलाव महंत प्रेम दास द्वारा राम मंदिर में दर्शन की इच्छा व्यक्त करने के बाद किया गया है। उन्होंने स्वयं बताया कि रामलला का दर्शन करने की प्रेरणा बजरंग बली से मिली है। इसके लिये हनुमान जी महाराज ने उन्हें प्रेरित किया है। वह रामलला का दर्शन बजरंगबली के प्रतिनिधि के तौर पर करेंगे। जिसके बाद निर्वाणी अखाड़े के पंचों (सदस्यों) ने सर्वसम्मति से उन्हें यात्रा की अनुमति दे दी।

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