केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को HC से मिली जमानत, 2 साल बाद यूपी की जेल से आएंगे बाहर

Edited By Mamta Yadav,Updated: 23 Dec, 2022 09:50 PM

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केरल स्थित पत्रकार सिद्दीक कप्पन को धन शोधन के एक मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी। कप्पन की जमानत याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने पारित किया। पत्रकार फिलहाल लखनऊ की जिला जेल में निरुद्ध है।

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केरल स्थित पत्रकार सिद्दीक कप्पन को धन शोधन के एक मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी। कप्पन की जमानत याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने पारित किया। पत्रकार फिलहाल लखनऊ की जिला जेल में निरुद्ध है।

कप्पन पर जाति आधारित दंगा भड़काने का दर्ज था मामला
बता दें कि कप्पन को तीन अन्य लोगों के साथ 5 अक्टूबर, 2020 को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वे हाथरस जा रहे थे। हाथरस में 14 सितंबर, 2020 को चार व्यक्तियों द्वारा एक दलित महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने कप्पन पर जाति आधारित दंगा भड़काने का इरादा रखने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का मामला दर्ज किया था। इसके बाद, उस पर देशद्रोह के आरोप और गैर कानूनी गतिविधियां (निषेध) अधिनियम के तहत भी मामले जोड़े गए। कप्पन के खिलाफ भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के अलावा गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और आईटी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।

शरीफ ने हाथरस यात्रा के लिए धन मुहैया कराया था
प्रवर्तन निदेशालय ने फरवरी, 2021 में कप्पन के खिलाफ एक मामला दर्ज किया। केंद्रीय एजेंसी ने कप्पन, रहमान, अहमद और आलम पर दंगा भड़काने के लिए प्रतिबंधित पीएफआई से पैसा प्राप्त करने का आरोप लगाया। रहमान पीएफआई की छात्र इकाई कैंपस फ्रंट आफ इंडिया का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष है। अहमद कैंपस फ्रंट आफ इंडिया की दिल्ली इकाई का महासचिव है, जबकि आलम इस संगठन का और पीएफआई का सदस्य है। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि कैंपस फ्रंट आफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव शरीफ ने हाथरस यात्रा के लिए धन मुहैया कराया था।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने एक अन्य मामले में नौ सितंबर को कप्पन को जमानत दे दी थी। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की दलीलें ध्यान में रखते हुए जमानत के लिए कई शर्तें लगाई थीं जैसे जेल से रिहा होने के बाद वह अगले छह सप्ताह दिल्ली में रहेगा और हर सप्ताह सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में निजामुद्दीन पुलिस थाना को रिपोर्ट करेगा। विपक्षी दलों और पत्रकारों की संस्थाओं ने कप्पन को जमानत दिए जाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत किया था। उनका दावा है कि कप्पन को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बलि का बकरा बनाया गया।

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