Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 05 Feb, 2023 06:47 PM

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को कहा कि मुसलमान का मतलब अपने आपको अल्लाह के हवाले करना है, इसलिए हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है। इसके साथ ही बोर्ड ने सरकार से अनुरो...
लखनऊ: आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को कहा कि मुसलमान का मतलब अपने आपको अल्लाह के हवाले करना है, इसलिए हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है। इसके साथ ही बोर्ड ने सरकार से अनुरोध किया है कि देश के संविधान में हर शहरी को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी है, इसलिए वह आम नागरिकों की मजहबी आजादी का एहतराम करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का इरादा छोड़ दे।

हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है...
रविवार को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में नदवतुल उलेमा लखनऊ में बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव पारित कर मुसलमानों से यह आह्वान किया गया। बैठक के बाद बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी की ओर से जारी बयान में कहा गया, ''बोर्ड की यह बैठक मुसलमानों को यह याद दिलाती है कि मुसलमान का मतलब अपने आपको अल्लाह के हवाले करना है, इसलिए हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है।''

'किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार एक बुनियादी अधिकार है'
बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा, ‘‘देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों में हर शहरी को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी दी गयी है, इसमें पर्सनल लॉ शामिल है। इसलिए हुकूमत से अपील है कि वह आम नागरिकों की मजहबी आजादी का भी एहतराम करे और यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लागू करना अलोकतांत्रिक होगा।'' उन्होंने सरकार से इस इरादे को छोड़ने की अपील की है। धर्मांतरण को लेकर बनाए गए विभिन्न राज्यों के कानूनों पर क्षोभ प्रकट करते हुए बोर्ड ने यह भी प्रस्ताव पारित किया है कि ''धर्म का संबंध उसके यकीन से है, इसलिए किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार एक बुनियादी अधिकार है।
उन्होंने बताया कि इसी बिना पर हमारे संविधान में इस अधिकार को स्वीकार्य किया गया है और हर नागरिक को किसी धर्म को अपनाने और धर्म का प्रचार करने की पूरी आजादी दी गई है, लेकिन वर्तमान में कुछ प्रदेशों में ऐसे कानून लाए गए हैं, जो नागरिकों को इस अधिकार से वंचित करने की कोशिश है जो कि निंदनीय है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 के अनुसार राज्य में गैर कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने या पहचान छिपाकर शादी करने के मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
इसके पहले रविवार की सुबह एआईएमपीएलबी के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी ने संवाददाताओं को बताया था, “हम बोर्ड की कार्य समिति की एक बैठक कर रहे हैं। हम समान नागरिक संहिता पर चर्चा करेंगे कि क्या इसे एक ऐसे देश में लागू करना मुनासिब है जहां विभिन्न जाति धर्म के लोग रहते हैं।” उन्होंने कहा कि बैठक में जिन दूसरों मुद्दों पर चर्चा की जाएगी उनमें वक्फ की सुरक्षा और गरीब एवं मुस्लिमों की शिक्षा के लिए इसे कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है, आदि शामिल है। साथ ही यह चर्चा भी की जाएगी कि महिलाओं का जीवन कैसे बेहतर हो और सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी बढ़े।