हाथरस सत्संग भगदड़ कांड: हादसे के11 आरोपियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई पेशी, अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी

Edited By Ramkesh,Updated: 29 Jul, 2024 06:38 PM

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उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सत्संग कांड में मची भगदड़ के हादसे के सभी 11 आरोपियों की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई। सभी 11 आरोपी हादसे के बाद अलीगढ़ जेल में बंद हैं। अब इस मामले में अगली सुनवाई के...

हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सत्संग कांड में मची भगदड़ के हादसे के सभी 11 आरोपियों की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई। सभी 11 आरोपी हादसे के बाद अलीगढ़ जेल में बंद हैं। अब इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 12 अगस्त को होनी है। इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता एपी सिंह भी आज हाथरस न्यायालय आरोपियों की पेशी के दौरान मौजूद रहे।

वही अधिवक्ता एपी सिंह ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कहा कि इस मामले में न्यायिक जांच आयोग के नोटिस पर नारायण साकार हरि अपना जवाब दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि जहां भी जरूरत होगी। वहा साकार हरि उपस्थित होंगे। वह कानून में विश्वास रखने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में न्यायिक जांच आयोग को करीब 700 लोगों के शपथ पत्र दिए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि हमें जांच एजेंसियों पर भरोसा है। कानून व्यवस्था पर भरोसा है।न्यायालय पर भी पूरा भरोसा है।

उन्होंने कहा कि इसमें एक आरोपी उपेंद्र यादव तो उस दिन मौके पर भी नहीं थे। वह शिकोहाबाद में थे। इसलिए जहां-जहां उस दिन वह मौजूद थे। उसकी सीसीटीवी फुटेज निकलवाई जा रही है।उन्होंने कहा कि इस घटना को जिसने अंजाम दिया, वह किसी राजनीतिक दल के व्यक्ति भी हो सकते हैं। नारायण साकार हरि को बदनाम करने वाले भी हो सकते हैं या उत्तर प्रदेश सरकार को अस्थिर करने वाले भी हो सकते हैं। पहले भी योगी सरकार को अस्थिर करने के लिए हाथरस में बूलगढी़ कांड का मामला हुआ था। तब भी सरकार को अस्थिर करने की साजिश रची गई थी। इस भगदड़ के साजिशकर्ता दूसरे धर्म के लोग भी हो सकते हैं, जोकि सनातन धर्म के विरोधी हैं।

उन्होंने कहा कि यह पूरी घटना साजिश के तहत हुई। कुछ युवकों ने वहां जहरीला स्प्रे छिडका और पानी की बोतलें फेंकी। इसी से वहां भगदड़ मची और यह घटना हो गई। हम चाहते हैं कि इस घटना के दोषियों को सजा मिले और कोई निर्दोष दंडित ना हो।

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