Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Nov, 2023 01:49 PM

भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सौंपने के लिए अदालत से शुक्रवार को 15 दिन का और समय देने की मांग की। दो नवंबर को वाराणसी की अदालत ने भारतीय पुरातत्व...
वाराणसी: भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सौंपने के लिए अदालत से शुक्रवार को 15 दिन का और समय देने की मांग की। दो नवंबर को वाराणसी की अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट सौंपने के लिए 17 नवंबर तक का समय दिया था। केंद्र सरकार के शासकीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने बताया कि वाराणसी की जिला अदालत ने सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए आज 17 नवम्बर का समय दिया था।
परंतु सर्वेक्षण में इस्तेमाल तकनीकी रिपोर्ट अभी नहीं आ पाने की वजह से एएसआई ने आज शुक्रवार को जिला जज ए के विश्वेश की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर रिपोर्ट अदालत के समक्ष जमा करने के लिए 15 दिन के और समय की मांग की है। उन्होंने कहा कि अदालत इस मामले पर दिन में बाद में सुनवाई करेगी। एएसआई को इससे पहले छह अक्टूबर तक रिपोर्ट देनी थी लेकिन बाद में उसे तीन नवंबर तक इसे जमा करने के निर्देश दिये गये थे। 5 अक्टूबर को, अदालत ने एएसआई को चार और सप्ताह का समय दिया था और कहा था कि सर्वेक्षण की अवधि इससे आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
क्या है ज्ञानवापी विवाद?
ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। दावा है कि मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वाकर यहां मस्जिद का निर्माण किया। जो अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं।