Edited By Ramkesh,Updated: 30 Apr, 2025 04:54 PM

केंद्र की मोदी सरकार ने विपक्ष की मांग पर बैकफुट पर आ गई है। दरअसल, काफी लम्बे समय से जातीय जनगणना की मांग को केन्द्र सरकार ने मान ली है। अब पूरे देश में केंद्र सरकार जातीय जनगणना कराएगी।
लखनऊ: केंद्र की मोदी सरकार ने विपक्ष की मांग पर बैकफुट पर आ गई है। दरअसल, काफी लम्बे समय से जातीय जनगणना की मांग को केन्द्र सरकार ने मान ली है। अब पूरे देश में सरकार जातीय जनगणना कराएगी।
मोदी कैबिनेट ने जातीय जनगणना कराने की दी मंजूरी
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘‘पारदर्शी'' तरीके से शामिल किया जाएगा। राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है। वैष्णव ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का संकल्प है कि आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाएगा। भारत में प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
जातीय जनगणना कराने की विपक्ष कर रहा था मांग
आप को बता दें कि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर 2024 के लोगों सभा चुनाव में मोदी सरकार को घेरा था, लेकिन भाजपा की सरकार ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया है। मोदी कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। हालांकि बिहार सरकार ने प्रदेश में जनगणना करा चुकी है उसके बाद से ये मुद्दा तूल पकड़ा था। जातीय जनगणना को लेकर अखिलेश यादव, राहुल गांधी, मायावती समेत कई नेताओं ने मांग की थी। सत्ता पक्ष के लोगों ने भी जैसे केशव प्रसाद मौर्य, सम्राट चौधरी, देवेंद्र फडणवीस आदि ने जाति जनगणना का सपोर्ट किया था।
आरएसएस ने भाजपा को जातीय जनगणना कराने के दिए थे संकेत
गौरतलब है कि अभी कुछ दिनों पहले ही आरएसएस ने जातीय जनगणना पर सकारात्मक रुख दिखाकर भारतीय जनता पार्टी को इस संबंध में अपने इरादे से अवगत करा दिया था। आरएसएस ने जाति जनगणना का समर्थन करते हुए संकेत दे दिया था। हालांकि आरएसएस ने यह भी कहा कि इसका उपयोग राजनीतिक या चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। आरएसएस ने यह भी कहा कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के उप-वर्गीकरण की दिशा में कोई भी कदम संबंधित समुदायों की सहमति के बिना नहीं उठाया जाना चाहिए।