Edited By Ajay kumar,Updated: 18 Jan, 2023 09:44 PM

शादी, उत्सव, त्योहार या अन्य किसी अवसरों पर जहां खुशी के गीत झूमने पर मजबूर करते हैं, वहीं दुखी होने पर दर्द भरे या हल्की आवाज के गीत दिल को सुकून देते हैं।
कानपुरः शादी, उत्सव, त्योहार या अन्य किसी अवसरों पर जहां खुशी के गीत झूमने पर मजबूर करते हैं, वहीं दुखी होने पर दर्द भरे या हल्की आवाज के गीत दिल को सुकून देते हैं। इस राज से आईआईटी कानपुर के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने पर्दा उठाया है। उन्होंने नुसरत अली खान के मिश्र जोगिया राग को 20 लोगों को सुनाया और उनके दिमाग टेस्ट किया, जिसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। उनका दिमाग काफी सक्रिय हो गया। विशेषज्ञों ने शोध को अंतर्राष्ट्रीय जर्नल प्लॉस वन में प्रकाशित किया है।
संस्थान के मानविकी और सामाजिक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रजभूषण, आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा और शोधार्थी आशीष गुप्ता की टीम ने 20 लोगों का चयन किया। उन्हें पहले सामान्य माहौल में रखा कर चुके हैं। गया, जिससे कि उन पर किसी सके। यह प्रक्रिया दस मिनट तक उनकी जिंदगी में आने वाले सबसे दुख भरे समय को याद करने के लिए कहा गया। यह समय माता पिता या किसी की मृत्यु, शादी या संबंध टूटने, नौकरी जाने, धोखा देने आदि से संबंधित हो सकते हैं। उनके स्मरण करने के दौरान सभी के सिर का ईईजी टेस्ट किया गया। अब उन्हें आठ मिनट 44 सेकेंड के लिए अली खान का मिश्र जोगिया राग सुनाया गया, इसके बाद फिर से ईईजी टेस्ट हुआ। इसमें सभी के दिमाग की सक्रियता बढ़ी हुई मिली। प्रो. ब्रजभूषण ने बताया कि राग सुनने के बाद दिमाग के सिंगुलेट कॉर्टेक्स और पाराहिप्पोकैम्पस क्षेत्र में नेटवर्क कनेक्टिविटी बढ़ गई। यह सतर्कता को बढ़ाने में मदद करता है। इसी की वजह से लोग दर्द भरे गीत सुनने के बाद राहत महसूस करते हैं। उन्हें हल्का अनुभव होता है।
राग दरबारी पर हुआ शोध
आईआईटी के विशेषज्ञ इससे पहले राग दरबारी पर शोध कर चुके हैं। उसमें लोगों के दिमाग के न्यूरॉन्स काफी बढ़े हुए मिले थे। इसके अलावा हरे रामा हरे कृष्णा भजन सुनने के बाद दिमाग की सक्रियता की पुष्टि कर चुके हैं।