कुशीनगर:  गंड़क नदी पर किसानों को दशकों से है एक अदद पुल का इंतजार, नाव के सहारे खेती करने को मजबूर हैं कई गांव के किसान

Edited By Mamta Yadav,Updated: 28 Mar, 2022 01:44 PM

farmers have been waiting for a bridge on the gandak river for decades

उत्तर प्रदेश में कुशीनगर जिले के किसान दशकों से गंडक नदी में एक अदद पुल के निर्माण की बाट जोह रहे हैं। पुल के अभाव में सैकड़ों किसान हर रोज नाव के जरिये नदी पार कर खेत खलिहान का कामकाज देखते है जिसमें पैसे खर्च करने के साथ साथ कई मौकों पर उफनाती नदी...

कुशीनगर: उत्तर प्रदेश में कुशीनगर जिले के किसान दशकों से गंडक नदी में एक अदद पुल के निर्माण की बाट जोह रहे हैं। पुल के अभाव में सैकड़ों किसान हर रोज नाव के जरिये नदी पार कर खेत खलिहान का कामकाज देखते है जिसमें पैसे खर्च करने के साथ साथ कई मौकों पर उफनाती नदी में जान जोखिम में डालनी पड़ती है।       

कटाई भरपुरवा गांव के पास गंडक नदी पर पुल न बनने से किसानों के लिए नाव ही एक मात्र आवागमन का माध्यम है। क्षेत्र के कई गांवों के किसानों को जान खतरे में डालकर नाव से गंडक नदी पार करनी पड़ती है।नदी में पानी अधिक होने पर नाव से और कम होने पर पानी के रास्ते आना-जाना पड़ता है। हालांकि, गंडक नदी पर पुल के लिए क्षेत्र के लोग कई बार धरना-प्रदर्शन, सत्याग्रह, हस्ताक्षर अभियान चला चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी नहीं हुई।       

किसानों का कहना है कि कटाई भरपुरवा गांव के सामने बड़ी गंडक नदी पर पुल का निर्माण हो जाए तो समय से फसल की बुआई से लेकर अच्छी पैदावार हो जाएगी। साथ ही बगहां (बिहार) जाने के लिए महज छह किमी की दूरी तय करनी पड़ेगी। गंडक नदी के दियारा क्षेत्र में किसानों की करीब 2,500 एकड़ खेती है। खेती करने के लिए किसानों को बरसात के समय नावों के सहारे आना-जाना पड़ता है। जून में जब बरसात शुरू होती है तो नदी में पानी ज्यादा हो जाता है। इस कारण किसानों को खेती करने के लिए जान जोखिम में डालकर नाव या तैरकर नदी पार कर खेतों में जाना पड़ता है।       

वर्ष 2021 में छह बच्चों की मौत अलग-अलग महीनों में हुई थी। वहीं बिहार के बगहां में जाने के लिए करीब 70 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। अगर पुल का निर्माण हो जाए तो यह दूरी घटकर महज छह किमी ही रह जाएगी। कटाई भरपुरवा गांव के सामने बड़ी गंडक नदी पर पुल निर्माण कराने के लिए इन गांवों के लोगों ने वर्ष 2019 में धरना दिया था। तत्कालीन विधायक जटाशंकर त्रिपाठी मौके पर आए थे और आश्वासन देकर धरना समाप्त कराया था। इसके अलावा लोगों ने कई बार सांसद विजय कुमार दुबे को भी ज्ञापन दिया। सांसद ने केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी से मुलाकात कर पुल निर्माण की मांग की थी, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

लोगों का कहना है कि जून से नवंबर तक बड़ी गंडक नदी में पानी रहता है। ऐसे में नाव के सहारे ही आना-जाना पड़ता है। बहुत किसान फसल की देखरेख नहीं कर पाते है। दिसंबर से नदी में पानी सूख जाता है तो किसान आसानी से खेतों में चले जाते हैं। इस समय भी पानी कम है। किसान गिरिजाशंकर ने कहा कि अगर गंडक नदी पर पुल का निर्माण हो जाता तो हम लोगों की सभी समस्याएं कम हो जातीं। नदी उस पार खेती करने के लिए जाने के बाद परिवार के लोग चिंतित रहते हैं।

कटाई भरपुरवा में गंडक नदी पर पुल बनवाने के लिए चार वर्षों से लगातार मांग होती आ रही है, क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के हित से जुड़ी इतनी बड़ी समस्या कभी नेताओं के लिए गंभीर नहीं दिखी। इस समस्या को दूर कराने के लिए अब तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं हुई।इस संबंध में जिलाधिकारी एस राज लिंगम का कहना है कि बडी़ गंडक नदी के किनारे बसे लोगों को खेती करने के लिए उस पार जाना पड़ता है जो कि जोखिम भरा है।

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