Edited By Pooja Gill,Updated: 12 Oct, 2024 02:44 PM

Dussehra 2024: आज देशभर में एक तरफ लोग रावण के पुतला का दहन कर दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ कुछ ऐसी जगह भी जहां पर दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है...
Dussehra 2024: आज देशभर में एक तरफ लोग रावण के पुतला का दहन कर दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ कुछ ऐसी जगह भी जहां पर दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है। यूपी के कानपुर के शिवाला में स्थित दशानन मंदिर है। जहां पर दशहरा के दिन भारी संख्या में लोग पहुंचते है और रावण की पूजा कर अपना मनोरथ मांगते हैं।
कुछ लोग रावण को मानने है भगवान
दरअसल, कुछ लोग रावण को भगवान का दर्जा देते है। इसलिए वो दशहरा के दिन रावण दहन की जगह रावण की पूजा आराधना करते है। प्रदेश के कानपुर के शिवाला में स्थित दशानन मंदिर में दशहरा के दिन सुबह से भक्त रावण की पूजा करने के लिए पहुंचते हैं। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और खास बात यह है कि इस मंदिर को सिर्फ एक ही बार खोला जाता है। विजयदशमी के दिन ही इस मंदिर को खोला जाता है। रावण के भक्त यहां सुबह से पहुंचकर पूजा आराधना करने में लग जाते हैं।
शक्ति के प्रतीक के रूप में होती है रावण की पूजा
रावण के भक्त उन्हें शक्ति का प्रतीक मानते है। दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है। आज यानी दशहरा के दिन सुबह आठ बजे मंदिर के कपाट खोले गए और रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया गया। इसके बाद आरती हुई। इस मंदिर की स्थापना सन 1890 में गुरु प्रसाद शुक्ल द्वारा की गई थी। मंदिर के पुजारी ने बताया बताया कि हम दशहरा के दिन इस मंदिर को खोलते हैं और दशहरा के दिन रावण की पूजा करते हैं और फिर शाम को पुतला जलाने के बाद हम इस मंदिर को बंद कर देते हैं। यह मंदिर सिर्फ दशहरे के दिन खुलता है। हम उनके ज्ञान के लिए उनकी पूजा करते हैं। क्योकि रावण जैसा विद्वान, ज्ञानी, शक्तिशाली, बलशाली कोई नहीं था। रावण में एक कमी थी अहंकार, और उसी का पुतला जलाते हैं।