सड़क की पटरी पर फल बेचने वाले‌ का बेटा बना DSP, आइए जानते हैं अरविंद सोनकर की सक्सेस स्टोरी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 09 Apr, 2023 03:01 PM

dsp became the son of a fruit seller on the roadside

अगर किसी भी इंसान के अंदर कुछ करने का जज्बा हो तो वह किसी भी मुश्किल को हरा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मऊ (Mau) जिले के अरविंद सोनकर (Arvind Sonkar) ने। अरविंद सोनकर (Arvind Sonkar) उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ....

मऊ(जाहिद इमाम): अगर किसी भी इंसान के अंदर कुछ करने का जज्बा हो तो वह किसी भी मुश्किल को हरा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मऊ (Mau) जिले के अरविंद सोनकर (Arvind Sonkar) ने। अरविंद सोनकर (Arvind Sonkar) उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) की परीक्षा पास कर अब डीएसपी (DSP) बन गए हैं। अरविंद की सफलता इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि उनका यह सफर संघर्षों से भरा रहा।

आइए, जानते हैं अरविंद सोनकर की सक्सेस स्टोरी
मिली जानकारी के मुताबिक, मऊ जनपद के नसोपुर गांव निवासी गोरख सोनकर नगर के भीटी क्षेत्र में फल बेंचकर बड़ी कठिनाई से अपने परिवार का गुजारा करते थे। दो बेटों और एक बेटी में सबसे छोटा सुपुत्र अरविंद सोनकर बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में होनहार था। इनकी प्राथमिक शिक्षा रामस्वरूप भारती इंटर कालेज मऊ से हुई तथा स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद में करते हुए सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए। पढ़ाई के प्रति अपने बेटे की लगन देखकर गोरख कड़ी मेहनत कर गर्मी की धूप हो या हाड़कपाऊ सर्दी या फिर बरसात में ढेले के ऊपर पालीथीन लगाकर सड़क के किनारे फल बेंचकर अपने बेटे अरविंद की शिक्षा में बाधा नहीं आने दी। परंतु असमय ही गोरख की पत्नी अर्थात अरविंद की मां का कैंसर के कारण देहावसान हो गया और इस सदमें के कारण गोरख को भी लकवा मार गया।

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बताया जाता है कि इसके बाद से अरविंद की पढ़ाई का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था। परंतु अरविंद के मामा ने आकर गोरख का फल वाला ठेला संभाल लिया और बहन के  परिवार की परविश एवं भानजे की पढ़ाई का भार उठाने लगा। आज अरविंद के इस संघर्षपूर्ण सफलता पर जहां एक ओर परिवार के लोग फूले नहीं समा रहे हैं, वहीं क्षेत्र के लोगों का अरविंद के परिवार को बधाई देने के लिए तांता लगा हुआ है।

सड़क की पटरी पर फल बेचने वाले‌ का बेटा बना DSP
आपको बता दें कि अरविंद के घर गरीबी की हालत यह है कि आज भी इनके परिवार का खाना लकड़ी चूल्हे पर बनता है। परंतु कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का हौसला यदि ठान लें तो परिस्थितियां आड़े नहीं आती। आज इसी को चरितार्थ करते हुए अरविंद ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में 86 वां स्थान पाकर डीएसपी जैसे प्रशासनिक पोस्ट को सुशोभित कर न सिर्फ अपने परिवार सहित जनपद का मान बढ़ाया है बल्कि तैयारी करने वाले प्रतियोगी बच्चों के लिए एक दिशा देकर हौसला भी बढाने का काम किया है। अरविंद की इस संघर्षपूर्ण सफलता से अरविंद को पढ़ाने वाले गुरुजन जहां एक तरफ सीना चौड़ा कर तारीफ कर रहे हैं, वहीं लोकबाग भी अपने बच्चों को प्रेरणा श्रोत मानकर खुशी जाहिर कर रहे हैं।

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