मांस-मदिरा से मुक्त वृन्दावन में बहे स्वच्छ यमुना, तभी वृन्दावन का सही विकास: बांके बिहारी कॉरीडोर, मंदिर न्यास पर बोले देवकीनंदन महाराज

Edited By Mamta Yadav,Updated: 12 Jun, 2025 07:43 PM

clean yamuna should flow in vrindavan free from meat and alcohol devkinandan

बांके बिहारी मंदिर कॉरीडोर एवं न्यास गठन पर धर्मगुरू देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज का बयान सामने आया है। देवकीनंदन महाराज ने कहा कि हम शुरू से ही मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की माँग करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘सनातन बोर्ड’ बनाकर हिंदु...

Vrindavan News, (मदन सारस्वत): बांके बिहारी मंदिर कॉरीडोर एवं न्यास गठन पर धर्मगुरू देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज का बयान सामने आया है। देवकीनंदन महाराज ने कहा कि हम शुरू से ही मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की माँग करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘सनातन बोर्ड’ बनाकर हिंदु मंदिर एवं तीर्थ स्थलों की व्यवस्था स्थानीय सनातनी भावनाओं के अनुरूप करनी चाहिये। वृन्दावन में कंक्रीट का गलियारा न बने, बल्कि स्थानीय लोगों के सहयोग से तुलसी, लता-पता, वृक्षों से सजा मार्ग बने, जिसमें प्रवेश करते समय वास्तविक वृन्दावन का आभास हो। कहा कि मंदिर दर्शन को आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिये व्यवस्था बनाना सरकार और प्रशासन का दायित्व है। 
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गंगोत्री धाम में भागवत कथा कह रहे देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने कहा कि बाँके बिहारी जी मंदिर की परमंपरागत सेवा-पूजा एवं व्यवस्था में बदलाव नहीं होना चाहिये। मुख्य मार्ग चौड़े होने चाहियें लेकिन वृन्दावन का सही मायने में विकास तभी माना जा सकता है जब निर्मल यमुना की जलधारा आने लगे। स्वच्छ यमुनाजल से ठाकुरजी को स्नान कराकर सेवा पूजा की जा सके। ब्रज-वृन्दावन माँस और मदिरा से मुक्त हो जायें। कथा के दौरान बोलते हुये उन्होंने कहा कि तिरूपति मंदिर दुषित प्रसाद मामले के बाद से हम ‘सनातन बोर्ड’ की माँग इसीलिये करते आ रहे हैं कि मंदिरों की पूजा पद्धिति एवं संस्कृति बची रहे। हिंदुओं के मंदिरों पर किसी भी माध्यम से सरकारी हस्तक्षेप न हो। स्थानीय नागरिक जिस तरह का धार्मिक विकास चाहते हैं, सरकार भी वैसा ही कार्य करे।

कुम्भ में ‘सनातन बोर्ड’ के लिये ‘धर्म संसद’ बुलाने वाले देवकीनंदन महाराज ने कहा कि नमाज पढ़वाने के लिये सरकार और प्रशासन सड़क पर भी व्यवस्था करवा देते हैं, इसके लिये ट्रैफिक को कंट्रोल कर डायवर्ट तक कर दिया जाता है। फिर बांकें बिहारी जी जैसे मंदिरों में दर्शन को आने वाले यात्रियों के लिये उचित व्यवस्थायें क्यों नहीं बनायी जा सकती? मंदिर मार्गों पर बढ़ते जाम पर बोलते हुये उन्होंने कहा कि भगवान के दर्शन को पैदल चलकर जाने का शास्त्रीय विधान है। मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर वाहन रोककर पैदल जाना चाहिये। जिससे तीर्थों में स्थानीय नागरिकों को भी परेशानी न हो।

 

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