यूपी उपचुनावः सात सीटों पर मतगण्ना के लिये सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद

Edited By Ajay kumar,Updated: 09 Nov, 2020 04:59 PM

chalk arrangement for seven seats of up assembly

उपचुनाव में उत्तर प्रदेश विधानसभा की सात सीटों पर मंगलवार को होने वाली मतगणना के लिये सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था की गयी है। चुनाव आयोग सूत्रों ने सोमवार को यहां बताया कि उपचुनावों में कल सात सीटों पर होने वाली मतगणना के लिए चाक चौबंद व्यवस्था की...

लखनऊः उपचुनाव में उत्तर प्रदेश विधानसभा की सात सीटों पर मंगलवार को होने वाली मतगणना के लिये सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था की गयी है। चुनाव आयोग सूत्रों ने सोमवार को यहां बताया कि उपचुनावों में कल सात सीटों पर होने वाली मतगणना के लिए चाक चौबंद व्यवस्था की गयी है। मतगण्ना के लिए सभी तैयारिया पूरी कर ली गयी। इस सात सीटों पर गत तीन नवंबर को मतदान हुआ था। सात सीटों के लिये ईवीएम में 88 उम्मीदवारों का भाग बंद है। राज्य में सात सीटों के लिये 24.34 लाख मतदाताओं में से 53.62 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। उपचुनाव में जिन सात विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ था में से छह पर भाजपा का कब्जा था जबकि एक सीट सपा के पास थी। यह पहली बसपा ने विधानसभा उपुचनाव में भाग लिया, जिससे लड़ाई बहुकोणीय हो गई।       

चुनाव आयोग के सूत्रों ने यहां बताया कि मतगणना मंगलवार को सुबह 0800 बजे से सभी सातों विधानसभा क्षेत्रों शुरू होगी। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये है। सभी सात विधानसभाओं की मतगणना केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। सात विधानसभा क्षेत्रों में मतगणना की गिनती के लिए 15 टेबल लगाई गई हैं। इस बार, चुनाव आयोग ने कोरोना के कारण एक बूथ में अधिकतम 1000 वोटों का निर्देश दिया है, जिसकी वजह से बूथों की संख्या में वृद्धि हुई है और जो गिनती के लिए अधिक समय लेंगे।      

सूत्रों ने बताया कि मतगणना के एक घंटे के भीतर रुझान आने की उम्मीद है। उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के बीच टक्कर है। मल्हनी सीट को छोड़कर, जो सपा के पास थी, शेष सभी छह सीटें सत्तारूढ़ भाजपा के पास थीं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार मतदान प्रतिशत 10 प्रतिशत कम था। भाजपा ने जौनपुर की मल्हनी सीट के लिए मनोज सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया। मनोज सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के नेता रहे हैं। जबकि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी- समाजवादी पार्टी ने लकी यादव को मैदान में उतारा है, जिनके पिता पारसनाथ यादव ने 2017 का विधानसभा चुनाव जीता था, लेकिन उनके अचानक निधन के कारण यह सीट रिक्त हुई है। बहुजन समाज पार्टी ने जय प्रकाश को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने राकेश मिश्रा को सीट के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। इस बीच, पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया।       

उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद खाली हुई। अब भाजपा ने इस सीट से श्रीकांत कटियार को मैदान में उतारा है, जबकि सपा ने सुरेश कुमार पाल को और बसपा ने महेश प्रसाद को टिकट दिया है। कांग्रेस ने सुश्री आरती बाजपेयी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। सुश्री बाजपेई स्वर्गीय उमाशकर दीक्षित के परिवार से हैं, जो जवाहर लाल नेहरू मंत्रिमंडल में मंत्री थे। भाजपा के पूर्व विधायक सेंगर का कहना है कि इस सीट पर उनका दबदबा रहा है। इस बार सेंगर या उनके परिवार से कोई संबंध नहीं रखने के कारण इस सीट को बरकरार रखने के लिए भाजपा का असली लिटमस टेस्ट होगा। फिरोजाबाद जिले की टूंडला सीट सपा के बघेल के 2019 में भाजपा से सांसद चुने जाने के बाद खाली हो गई थी। भाजपा ने प्रेमपाल धनगर को अपना उम्मीदवार बनाया था। समाजवादी पाटर्ी ने महाराज सिंह धनगर को, जबकि संजीव कुमार चक को बसपा से और स्नेहा लता को कांग्रेस से मैदान में उतारा गया है।       

कोरोना वजह से भाजपा विधायक एवं मंत्री कमलरानी वरुण की अचानक मौत के कारण घाटमपुर विधानसभा सीट खाली हो गई। अब, भाजपा ने इस सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को मैदान में उतारा है जबकि सपा ने इंद्रजीत कटोरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने इस सीट से कुलदीप कुमार को उतारा है जबकि कांग्रेस ने कृपा शंकर पर भरोसा दिखाया है। नौगांव सादात विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के मंत्री और भारतीय क्रिकेटर चेतन चौहान की कोरोना वायरस के कारण निधन के बाद यह सीट रिक्त हो गई थी। अब भाजपा ने इस सीट से दिवंगत मंत्री की पत्नी संगीता चौहान को मैदान में उतारा। उसे सपा के सैयद जावेद अब्बास और बसपा के फुरकान अहमद से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी ने इस सीट के लिए कमलेश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।       

भाजपा के वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन के कारण बुलंदशहर सीट पर उपचुनाव हो रहा है। भाजपा ने इस सीट के लिए दिवंगत मंत्री की पत्नी उषा सिरोही को उम्मीदवार बनाया है। सपा ने इस सीट से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है लेकिन अपने सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के लिए सीट छोड़ दी है। आरएलडी ने इस सीट से प्रवीण सिंह को उतारा है, जबकि बसपा ने मोहम्मद यूनुस को टिकट दिया है और कांग्रेस ने इस सीट से सुशील चौधरी को टिकट दिया है। देवरिया विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक जनमेजय सिंह के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है। पार्टी ने अब सत्य प्रकाश मणि को टिकट दिया जो संत विनोबा पीजी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर है। सपा ने ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, बसपा ने अभयनाथ त्रिपाठी को जबकि कांग्रेस ने मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को टिकट दिया है। देवरिया सीट पर भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। मृतक भाजपा विधायक जनमेजय सिंह के बेटे अजय सिंह को पार्टी द्वारा टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

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