Edited By Mamta Yadav,Updated: 22 Jul, 2025 04:26 PM

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से एक बेहद चौका देने वाली व अमानवीय और झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। बरमतपुर गांव में सदर तहसील प्रशासन ने महज 9 इंच ज़मीन के विवाद में एक गरीब, दलित, और विकलांग परिवार के आशियाने पर बुलडोजर चला कर ज़मींदोज कर...
Fatehpur News, (मो. यूसुफ़): उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से एक बेहद चौका देने वाली व अमानवीय और झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है। बरमतपुर गांव में सदर तहसील प्रशासन ने महज 9 इंच ज़मीन के विवाद में एक गरीब, दलित, और विकलांग परिवार के आशियाने पर बुलडोजर चला कर ज़मींदोज कर दिया। अब पूरा परिवार छत विहीन होकर पंचायत भवन में रात गुजारने को मजबूर है। इस घटना से राजनीतिक हलकों में भी उबाल है और स्थानीय विधायक ने खुद अपनी ही सरकार के अधिकारियों को तानाशाह बता डाला है।"

अब पूरा परिवार पंचायत भवन में रातें गुजारने को मजबूर
फतेहपुर जिले के बरमतपुर गांव में प्रशासनिक कार्यवाही के नाम पर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। सदर तहसील प्रशासन ने मात्र 9 इंच चक मार्ग के लिए दलित विकलांग परिवार के पूरे मकान को जेसीबी से ढहा दिया। जिस मकान को गिराया गया, उसमें रहने वाला परिवार बेहद गरीब है। घर के दो सदस्य विकलांग हैं और बाकी लोग दिहाड़ी मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। अब यह परिवार पंचायत भवन में रातें गुजारने को मजबूर हो गया है।

'मेरी ही सरकार के कुछ अधिकारी तानाशाही कर रहे हैं'
इसी मामले को लेकर सरकार के विधायक का गुस्सा फूट पड़ा। घटना के बाद मौके पर पहुंचे बिंदकी विधायक जय कुमार जैकी ने प्रशासन की इस कार्यशैली पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि,"मेरी ही सरकार के कुछ अधिकारी तानाशाही कर रहे हैं और सरकार को बदनाम करने का काम कर रहे हैं।" विधायक ने इसे बेहद घृणित और अमानवीय कृत्य करार देते हुए कहा कि वे इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत करेंगे, और मकान गिराने वाले तानाशाह अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।
विधायक का सीधा सवाल: "जब सिर्फ दीवार हटानी थी, तो पूरा मकान क्यों गिराया गया? क्या किसी गरीब दलित की ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं?"
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में: क्या दलित होना अब अपराध है? क्या सिर्फ 9 इंच सरकारी जमीन के लिए किसी का घर उजाड़ देना ज़रूरी था? क्या किसी गरीब की पीड़ा सिर्फ आंकड़ों में दर्ज होकर रह जाएगी।
इस पूरी घटना ने न सिर्फ प्रशासन की संवेदनहीनता उजागर की है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल पैदा कर दी है। अब देखना यह होगा कि क्या मुख्यमंत्री इस गंभीर मामले में दोषी अफसरों पर कार्रवाई करते हैं, या फिर ये मामला भी बाकी खबरों की तरह फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।