Edited By Ajay kumar,Updated: 11 May, 2023 09:00 AM

निकाय चुनाव के नतीजे देखकर ही भाजपा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की रणनीति तैयार करेगी। निकाय चुनाव के बाद भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होने की संभावना है। कार्यसमिति में पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी कार्ययोजना बनाएगी।
लखनऊ: यूपी निकाय चुनाव का आज दूसरा और आखिरी चरण का मतदान हो रहा है। सभी पार्टियों ने प्रदेश के मुस्लिमों पर दांव अजमा रही हैं। सपा, बसपा, कांग्रेस के अलावा मुस्लिम प्रत्याशी को लेकर जिस पार्टी की सबसे ज्यादा चर्चा है वह है सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी जिसने इस चुनाव में मुस्लिम वोट को अपने पाले में लाने का प्रयोग किया है। निकाय चुनाव के नतीजे देखकर ही भाजपा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की रणनीति तैयार करेगी। निकाय चुनाव के बाद भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होने की संभावना है। कार्यसमिति में पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी कार्ययोजना बनाएगी।

निकाय चुनाव में मुस्लिमो पर बीजेपी का नया प्रयोग
प्रदेश में 80 लोकसभा सीट हैं। इसमें से शहरी इलाकों की लगभग 50 सीटें सीधे तौर पर प्रभावित होती हैं। इसी लिए निकाय चुनाव के नतीजे सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ही भारतीय जनता पार्टी ने कई नए प्रयोग किए हैं। पार्टी ने इस बार सबसे बड़ा प्रयोग मुस्लिम उम्मीदवारों की झड़ी लगाकर कर दिया है। निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 395 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जिसमें से 90 फीसदी से ज्यादा पसमांदा मुस्लिम हैं। निकाय चुनाव के परिणाम में भाजपा बेहतर प्रदर्शन करती है तो एक नया सामाजिक समीकरण बनेगा और बीजेपी का पसमांदा मुस्लिमों को अपनी तरफ लाने के प्रयास को सफल माना सफल माना जाएगा।

देश में कुल आबादी का 80 फीसदी पसमांदा मुस्लिम
मुस्लिमों की कुल आबादी का 80 फीसदी पसमांदा मुस्लिम हैं। इसीलिए भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा लोकसभा चुनाव से पहले इन्हें पार्टी के साथ लाने में जुटा है। पिछले कुछ चुनावों के नतीजों से पता चलता है कि मायावती की पार्टी बसपा से मुस्लिम वोट छिटके हैं। लोकसभा चुनाव तक मुस्लिम वर्ग को सपा से अपनी ओर लाने की कवायद में बसपा ने 17 महापौर प्रत्याशियों में से 11 मुस्लिमों को टिकट दिया है। सपा के वोट बैंक में इस बसपा की इस सेंधमारी का भाजपा फायदा उठाना चाहती है। भाजपा की लोकसभा की तैयार होने वाली रणनीति में इसका प्रभाव दिखेगा।
योगी सरकार और प्रदेश संगठन की दांव पर प्रतिष्ठा
भाजपा के लिए नगर निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना इसलिए जरूरी है क्योंकि इस चुनाव में योगी सरकार और प्रदेश भाजपा संगठन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। दरअसल, नगर निकाय चुनाव बीजेपी हमेशा से ही बेहतर प्रदर्शन करती आ रही है। इसके अलावा सरकार में रहते पार्टी पर बड़ा दबाव है । भारतीय जनता पार्टी ने पिछले नगर निगम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था, लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत में पिछड़ गई थी।