Edited By Ajay kumar,Updated: 02 Aug, 2023 09:07 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के मामले में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति असामयिक मृत्यु के कारण परिवार की तात्कालिक कठिनाइयों से निपटने के लिए दी जाती है और कर्मचारी की मृत्यु के 26 वर्ष बीत जाने के बाद यह नियुक्ति नहीं दी जा सकती है।...
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के मामले में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति असामयिक मृत्यु के कारण परिवार की तात्कालिक कठिनाइयों से निपटने के लिए दी जाती है और कर्मचारी की मृत्यु के 26 वर्ष बीत जाने के बाद यह नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। उक्त फैसला न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने अवनीश टंडन की याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया।
बरेली कॉरपोरेशन बैंक में कैशियर कम क्लर्क थी याची की मां
दरअसल मौजूदा मामले में याची की मां तत्कालीन बरेली कॉरपोरेशन बैंक (बीसीबी) में कैशियर कम क्लर्क थीं। 12 नवंबर 1996 में उनकी मृत्यु हो गईं। वर्ष 2007 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद याची ने बैंक ऑफ बड़ौदा में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया। 1999 में दोनों संस्थाओं का विलय हो गया था। याची ने 2022 में अपने दावे पर विचार करने के लिए बैंक को परमादेश जारी करने के लिए मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की। न्यायालय ने बैंक को विचार करने का निर्देश दिया, लेकिन यह नोट नहीं किया कि दावा बहुत देर से किया गया है। बैंक द्वारा याची के आवेदन को अस्वीकार करने के बाद वर्तमान याचिका दाखिल की गई।
याची ने अपने अधिकारों को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया
हाईकोर्ट ने माना कि भले ही याची वर्ष 2007 से अपना दावा पेश कर रहा है, लेकिन उसने अपने अधिकारों को लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, क्योंकि अदालत का दरवाजा खटखटाने में 15 साल की देरी हुई। अतः याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि समय का लंबा अंतराल बीत जाने के बाद याची के मामले पर विचार करने के लिए न्यायालय परमादेश जारी नहीं कर सकता है।