PM मोदी के सलाहकार बिबेक देबरॉय पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने साधा निशाना, कहा- राष्ट्र विरोधी लोग हैं नए संविधान व हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले

Edited By Ajay kumar,Updated: 18 Aug, 2023 06:17 PM

anti national people are those who demand new constitution swami prasad

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय द्वारा नए संविधान की मांग पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने हमला बोला है। उन्होंने नए संविधान और हिंदू राष्ट्र की मांग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई...

लखनऊः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय द्वारा नए संविधान की मांग पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने हमला बोला है। उन्होंने नए संविधान और हिंदू राष्ट्र की मांग करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।

देश की आर्थिक वृद्धि दर में सुस्‍ती आने के बीच प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की बुधवार को पहली और अहम बैठक हुई. बैठक में आर्थिक वृद्धि और रोजगार निर्माण को गति देने के उपायों समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 3 साल के न्यूनतम स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ जाने से सरकार सकते में है.

नए संविधान व हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले लोग राष्ट्र विरोधी
स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर लिखा कि नए संविधान व हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले लोग राष्ट्र विरोधी है। इस प्रकार की बात करने वाले लोगों के खिलाफ तत्काल कठोर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। भारतीय संविधान देश के 140 करोड़ लोगों की भावनाओं, आस्था, सम्मान व स्वाभिमान का प्रतीक है। संविधान बदलने की बात करने वालों को अपने घृणित और ओछी मानसिकता से बाहर आकर राष्ट्र की एकता, अखंडता के प्रति अवश्य ध्यान रखना चाहिए।

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नए संविधान को लागू करने की बात पर बढ़ा विवाद
दरअसल,  पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का 15 अगस्त को एक लेख समाचर में पत्र में आया था। उसमे उन्होंने दावा कि हमारा मौजूदा संविधान काफी हद तक 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है। 2002 में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित आयोग की एक रिपोर्ट आई थी, लेकिन यह आधा-अधूरा प्रयास था। कानून में सुधार के कई पहलुओं की तरह यहां और दूसरे बदलाव से काम नहीं चलेगा। लेख में आगे कहा गया है कि हमें पहले सिद्धांतों से शुरुआत करनी चाहिए जैसा कि संविधान सभा की बहस में हुआ था। 2047 के लिए भारत को किस संविधान की जरूरत है?

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