गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी ‘केदारखंड' झांकी, 12 कलाकार होंगे शामिल

Edited By Nitika,Updated: 24 Jan, 2021 01:44 PM

kedarkhand tableau to be seen in republic day parade

इस बार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड राज्य की ‘केदारखंड'' झांकी प्रदर्शित होगी, जिसमें राज्य पक्षी मोनाल, राज्य पशु कस्तूरी मृग और राज्य पुष्प ब्रह्मकमल के दर्शन होंगे।

 

नई दिल्ली/देहरादूनः इस बार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड राज्य की ‘केदारखंड' झांकी प्रदर्शित होगी, जिसमें राज्य पक्षी मोनाल, राज्य पशु कस्तूरी मृग और राज्य पुष्प ब्रह्मकमल के दर्शन होंगे।
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राष्ट्रीय रंगशाला में इस झांकी का प्रदर्शन किया गया, जिसमें उत्तराखंड की परंपरागत वेशभूषा में कलाकारों ने गणतंत्र दिवस परेड पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी प्रदर्शन किया। इस दौरान 17 राज्यों की झांकियां और वहां के कलाकारों ने अपनी वेशभूषा में गणतंत्र दिवस परेड में प्रदर्शित होने वाली अपनी कला का प्रदर्शन किया। उत्तराखंड की ‘केदारखंड' झांकी में 12 कलाकार शामिल होंगे। झांकी के अग्रभाग में 3600 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर रहने वाले राज्य पशु कस्तूरी मृण को दर्शाया गया है। इसके साथ ही राज्य पक्षी मोनाल तथा राज्य पुष्प ब्रह्म कमल को दिखाया गया है, जो केदारखंड के साथ ही पहाड़ों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। झांकी के मध्य हिस्से में दर्शकों को भगवान शिव के वाहन नंदी के दर्शन होंगे। इस भाग में केदार यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को यात्रा करते हुए और भगवान शिव के ध्यान में लीन होते दिखाया गया है। झांकी के अंतिम भाग में भगवान केदारनाथ के भव्य मंदिर तथा मंदिर परिसर में तीर्थ यात्रियों को दर्शाया गया है।

बता दें कि केदारनाथ मंदिर देश के 12 ज्योितिर्लिंगों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग का जीर्णोद्धार आदिगुरु शंकराचार्य ने किया था। केदारखंड झांकी का सबसे ज्यादा आकर्षण केदारनाथ मंदिर के पिछले हिस्से में मौजूद विशाल शिला है। यह शिला 2013 में केदार आपदा के दौरान बाढ़ में कहीं से लुढ़कते हुए भगवान शिव के दिव्य मंदिर के ठीक पीछे आ गई थी और वहीं स्थापित होकर बाढ़ के पानी से मंदिर की रक्षा करती रही। इस शिला के कारण भगवान का मंदिर बाढ़ के पानी के प्रहार से बच गया था और तेज बहाव का मंदिर पर असर नहीं हुआ। श्रद्धालुओं इस शिला का बाढ़ के बीच मंदिर के ठीक पीछे आना चमत्कार मानते हैं और कहते हैं कि इसी शिला की वजह से भगवान शिव का मंदिर केदारनाथ आपदा में ढहने से बच गया था।

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