Edited By Prashant Tiwari,Updated: 12 Nov, 2022 03:47 PM

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई सपा की परंपरागत मैनपुरी सीट पर 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी व कन्नौज की पूर्व सांसद डिम्पल यादव को चुनाव में उतारा है।
मैनपुरी : सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई सपा की परंपरागत मैनपुरी सीट पर 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी व कन्नौज की पूर्व सांसद डिम्पल यादव को चुनाव में उतारा है। जब से इस सीट पर उपचुनाव का ऐलान हुआ है सबके मन में एक ही सवाल घूम रहा है कि क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस सीट पर अपनी पत्नी व सपा उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने के लिए निकलेंगे ? अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार में न निकलने का खामियाजा समाजवादी पार्टी पिछले दो चुनावों में हार कर भुगत चुकी है।

अखिलेश यादव के प्रचार ना करने से सपा को कब-कब हुआ नुकसान ?
आपको बता दे कि मार्च 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सपा पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए जब यूपी के मुख्यमंत्री व दोनों डिप्टी सीएम को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर उतारा गया तो सपा ने भी इसके जवाब में अखिलेश यादव व रामपुर शहर से आजम खां को उतारा। इस दौरान अखिलेश यादव आजमगढ़ व आजम खान रामपुर से सांसद थे। विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव करहल से तो आजम खान रामपुर शहर की सीट से तो विधायकी जीत गए लेकिन सपा चुनाव हार गई। इसके बाद इन दोनों नेताओं को अपनी एक सीट छोड़नी थी तो दोनों ने अपनी लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जून में इन दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार नहीं किया। वहीं भाजपा ने इन दोनों सीटों को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों डिप्टी सीएम, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्रियों व केंद्रीय मंत्रियों ने दौरे व जनसभा कर सपा का मजबूत दुर्ग कहा जाने वाला ये दोनों सीट सपा से छीन लिया। ये सपा के लिए एक बड़े झटके की तरह था। इसके बाद हाल में ही हुए गोला गोकर्णनाथ उपचुनाव के दौरान भी अखिलेश यादव ने सपा प्रत्याशी के लिए प्रचार नहीं किया। इसका परिणाम यह रहा कि सपा ये सीट भाजपा से नहीं छीन पाई और उसके प्रत्याशी की करीब 35000 से ज्यादा वोटों से हार हुई। इसके बाद से ही ये कयास लगाया जाने लगा कि क्या सपा प्रमुख अपनी सीट बचाने के लिए प्रचार में निकलेंगे या सहानुभूति लहर व एम वाई समीकरण के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश करेंगे।

दो बार हारी व दो बार चुनाव जीती है डिम्पल
पूर्व सांसद डिम्पल यादव 5वीं बार लोकसभा चुनाव लड़ रही है। इससे पहले वो 4 बार चुनाव लड़ चुकी है। जिसमें वह दो बार चुनाव जीती तो दो बार चुनाव हारी है। 2009 में अखिलेश यादव के कन्नौज व फिरोजाबाद दो सीट से चुनाव जीतने के बाद अखिलेश ने अपने पास कन्नौज की सीट रखी और फिरोजाबाद सीट छोड़ दी। जिसमें हुए उपचुनाव में सपा ने डिंपल को अपना उम्मीदवार बनाया। ये डिम्पल का पहला चुनाव भी था। जिसमें उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता राजबब्बर ने उन्हें हराया था। इसके बाद 2012 में प्रदेश में सपा की सरकार बनने के बाद अखिलेश यादव सूबे के मुखिया बने तो उन्होंने अपनी पत्नी को कन्नौज लोकसभा उपचुनाव में निर्विरोध चुनाव जीताकर लोकसभा भेजा। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद डिंपल ने कन्नौज सीट से भाजपा के कद्दावर नेता सुब्रत पाठक को हराया लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वो उसी सुब्रत पाठक से चुनाव हार गई और अब सपा ने उन्हें 5वीं बार लोकसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है।

सपा को सहानुभूति लहर के साथ जातिगत समीकरण पर भरोसा
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी की सीट पर सपा को एक तरफ जहां सहानुभूति लहर की उम्मीद है वहीं दूसरी तरफ वो मैनपुरी के जातीय समीकरण को भी अपने पक्ष में मान कर चल रही है। आपको बता दे कि मैनपुरी में सबसे ज्यादा करीब 4.50 लाख यादव, 3.50 लाख शाक्य, 2.50 लाख क्षत्रीय, 1.50 लाख ब्राह्मण व 55 हजार मुस्लिम है।

भाजपा ने बनाई है रणनीति
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई सीट को भाजपा किसी भी हालत में जीतकर भाजपा सपा को बड़ा झटका देना चाहती है। भाजपा ने पहले से भी यूपी में मिशन 80 लांच कर रखा है। जिसके तहत वो यूपी की सभी 80 लोकसभा सीट को जीतकर इतिहास रचना चाहती है। इसके लिए भाजपा ने चक्रव्यूह भी बनाना शुरु कर दिया है। मैनपुरी लोकसभा चुनाव में जीत के लिए दो दिन पहले ही यूपी भाजपा के संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह सैनी जिले के नेताओं के साथ बैठक कर फीडबैक ले चुके है। इस सीट को जीतने के लिए भाजपा आज लखनऊ में 4 कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर यूपी कोर कमेटी की बैठक कर रही है। इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह सैनी, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह मौजूद रहेंगे। भाजपा को यहां शाक्य, क्षत्रिय, ब्राह्मण वोट के साथ लाभार्थी वर्ग के वोट मिलने की उम्मीद है।