पोस्टर बना सियासत का बम! आंबेडकर का चेहरा, अखिलेश का नाम... क्या सपा ने पार की हदें?

Edited By Anil Kapoor,Updated: 01 May, 2025 01:47 PM

after the controversy over ambedkar related posters sp appeals to supporters

Lucknow News: अपने अध्यक्ष अखिलेश यादव और संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की तस्वीर वाले पोस्टर को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशाने पर आने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने गुरुवार को अपने कार्यकर्ताओं से पार्टी के किसी भी...

Lucknow News: अपने अध्यक्ष अखिलेश यादव और संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की तस्वीर वाले पोस्टर को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशाने पर आने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने गुरुवार को अपने कार्यकर्ताओं से पार्टी के किसी भी नेता की तुलना किसी महापुरुष से नहीं करने की अपील की है। यह अपील लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर लगाए गए एक विवादास्पद पोस्टर और उस पर प्रदेश में जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद जारी की गई है। पोस्टर में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और आंबेडकर के चेहरों के आधे-आधे भाग को जोड़कर एक चेहरे के रूप में दिखाया गया था। पार्टी ने अपने समर्थकों को उनके स्नेह और समर्पण के लिए धन्यवाद देते हुए इस तरह की तस्वीरों के इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की।

सपा ने कार्यकर्ताओं से की अपील: महापुरुषों से कोई तुलना ना करें
पार्टी ने 'एक्स' पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा कि हम अपने सभी समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रेम, स्नेह, समर्पण के लिए उनकी भावनाओं का हृदय से आभार प्रकट करते हैं, साथ ही यह अपील भी करते हैं कि भावना में बहकर कभी भी किसी पार्टी नेता की तुलना किसी भी महापुरुष से किसी भी संदर्भ में नहीं करें और न ही इस तुलना को दर्शानेवाली कोई भी तस्वीर, प्रतिमा, गीत बनाएं या बयान दें। पार्टी ने इसी पोस्ट में आगे कहा कि दिव्य व्यक्तित्व व महापुरुष किसी भी तुलना से बहुत ऊपर होते हैं।

अखिलेश-आंबेडकर पोस्टर पर सियासी घमासान, विपक्ष ने मांगी माफी
लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर लगाए गए एक पोस्टर को लेकर बुधवार को उत्तर प्रदेश में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। पोस्टर में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के आधे-आधे चेहरों को मिलाकर एक चेहरा बनाया गया था। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने यादव पर परोक्ष रूप से निशाना साधा था। वहीं, भाजपा ने पोस्टर के खिलाफ धरना और विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि सपा ने इस पोस्टर से पल्ला झाड़ने की कोशिश की लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है और प्रतिद्वंद्वी दलों ने यादव से माफी मांगने की मांग की है।

सपा ने पोस्टर से झाड़ा पल्ला, भाजपा पर लगाया साजिश का आरोप
सपा ने पलटवार करते हुए कहा कि पोस्टर भाजपा का काम हो सकता है। पोस्टर के बारे में पूछे जाने पर सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि यह समाजवादी पार्टी का आधिकारिक पोस्टर नहीं है... हमें नहीं पता कि इसे किसने लगाया है। कोई भी, कहीं भी पोस्टर लगा सकता है। हो सकता है कि यह भाजपा के लोगों का काम हो।" बलिया में बुधवार को संवाददाताओं द्वारा उस विवादित पोस्टर के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा था कि हम लोहिया वाहिनी के नेता लाल चंद्र गौतम को भविष्य में महापुरुषों से जुड़े ऐसे पोस्टर नहीं लगाने देंगे।" उन्होंने कहा, "हम समझाएंगे और वह मान भी जाएंगे।"

अमित शाह की टिप्पणी पर अखिलेश का पलटवार, दलित एजेंडे पर फोकस
सपा प्रमुख ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा आंबेडकर को लेकर की गई कथित विवादित टिप्पणी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि क्या भाजपा अपने नेता से पूछेगी कि संसद में आंबेडकर जी के खिलाफ किसने टिप्पणी की?" संसद में शाह ने कहा था कि आंबेडकर का नाम लेना फैशन बन गया है। अगर वे (विपक्ष) इतनी बार भगवान का नाम लेते तो उन्हें स्वर्ग में जगह मिल जाती। उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रभावशाली प्रदर्शन से उत्साहित सपा नेतृत्व दलितों को लुभाने की कोशिश कर रहा है। दलित परंपरागत रूप से बसपा का वोट बैंक रहे हैं। सपा अपने पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग) के एजेंडा को वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में भी लागू करने की भरपूर कोशिश कर रही है।

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