UP Politics News: 17 जातियों को आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर सपा हुई सतर्क, भाजपा के खिलाफ चला अपना दांव

Edited By Pooja Gill,Updated: 18 Sep, 2022 12:11 PM

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उत्तर प्रदेश में ऐसी 17 अति पिछड़ी जातियां है जिन्हें अभी तक आरक्षण नहीं मिला है। लेकिन अब लोकसभा चुनाव पास आने पर राजनीतिक पार्टियां इन्हें आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर जोर पकड़ रही हैं। इसी के चलते भाजपा...

लखनऊः उत्तर प्रदेश में ऐसी 17 अति पिछड़ी जातियां है जिन्हें अभी तक आरक्षण नहीं मिला है। लेकिन अब लोकसभा चुनाव पास आने पर राजनीतिक पार्टियां इन्हें आरक्षण दिलाने के मुद्दे पर जोर पकड़ रही हैं। इसी के चलते भाजपा ने इन 17 पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिलाने के लिए अपने कदम तेज किए है। जिन्हें देखकर सपा ने भी अपना दांव चला दिया है। अब भाजपा इन अति पिछड़ी 17 जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाने के लिए लगे हुए है और सपा भाजपा को रोकने के लिए लगी हुई है।

बता दें कि 17 पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिलाने के लिए सपा ने दांव चला है। सपा ने यह रणनीति बनाई है कि जैसे भी हो सके इन 17 जातियों की नायक बनने चली भाजपा को खलनायक बनाया जाए। यह न हो तो आरक्षण के अंतिम निर्णय तक आंदोलन की हांक लगाई जाए, ताकि सत्ताधारी दल के संभावित लाभ में कुछ हिस्सेदारी जरूर हो जाए। प्रदेश की 17 अतिपिछड़ी जातियों कश्यप, निषाद, बिंद, केवट, मल्लाह, धीवर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी, कुम्हार, प्रजापति, भर, राजभर को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाने का मुद्दा दशकों पुराना है, क्योंकि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के शासनकाल में सपा सरकार ने भी केंद्र को आरक्षण का प्रस्ताव भेजा था।

अति पिछड़ी जातियों के वोट बैंक साधने की कोशिश
दरअसल, जब सपा सरकार ने भी केंद्र को आरक्षण का प्रस्ताव भेजा था तो उसे किसी सरकार ने भी खारिज नहीं किया, लेकिन यह मुद्दा परिणाम तक भी नहीं पहुंचा। कभी केंद्र और राज्य की अलग-अलग सरकारों की खींचतान तो कभी नियमों का फेल में यह मुद्दा फुटबॉल बना रहा। हाल ही में उच्च न्यायालय ने मुलायम सिंह सरकार और अखिलेश यादव सरकार सहित योगी सरकार द्वारा पिछले कार्यकाल में जारी अधिसूचनाओं को खारिज कर दिया। इसके साथ ही भाजपा की केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले इन 17 जातियों को आरक्षण दिलाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। भाजपा की नजर इस मुद्दे के सहारे अतिपिछड़ी जातियों के बड़े वोट बैंक पर है, लेकिन सपा इस मामले में भाजपा को रोकने की कोशिश कर रही है।

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सपा की नई रणनीति 
इसी रणनीति के तहत तय हुआ है कि सपा लोकसभा चुनाव के पहले प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में आरक्षण बचाओ पंचायत आयोजित करेगी। इसकी जिम्मेदारी समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डा. राजपाल कश्यप को दी गई है। इसकी रूपरेखा बनाने के लिए शनिवार को लखनऊ स्थित सहकारिता भवन में महापंचायत आयोजित की गई। यहां उन्होंने कहा कि 17 जातियों को अनुसूचित जाति में परिभाषित करने के लिए सपा सरकार में दो बार प्रस्ताव भेजा गया था। इन प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया। भाजपा सरकार ने जानबूझ कर ऐसा किया है। क्योकि केंद्र व प्रदेश, दोनों ही जगह भाजपा की सरकार है, इसलिए 17 जातियों को एससी में आरक्षण का लाभ तत्काल दिखाया जाए।

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