UP: परिषदीय विद्यालयों के पोशाक वितरित करने की जिम्मेदारी प्रबंध समितियों को नहीं देगी सरकार

Edited By Mamta Yadav,Updated: 24 May, 2022 05:36 PM

up not give the responsibility of dress of council schools to the management

विधानसभा में मंगलवार को सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र—छात्राओं को पोशाक वितरित करने की जिम्मेदारी प्रबंध समितियों को सौंपे जाने से इनकार किया है।

लखनऊ: विधानसभा में मंगलवार को सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र—छात्राओं को पोशाक वितरित करने की जिम्मेदारी प्रबंध समितियों को सौंपे जाने से इनकार किया है।

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के वीरेंद्र यादव ने बेसिक शिक्षा मंत्री से यह पूछा कि क्या प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को पोशाक, बैग, जूता—मोजा तथा स्वेटर क्रय हेतु उनके अभिभावकों को डीबीटी के (सीधे खाते में पैसे डालना) के माध्यम से प्रेषित धनराशि का लाभ छात्र प्राप्त नहीं कर पा रहे है? यदि हां, तो क्या सरकार पहले की भांति विद्यालयों में प्रबन्ध समितियों के माध्यम से इसके वितरित कराने पर विचार करेगी। उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार यदि विचार नहीं करेगी तो क्यों।

बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने जवाब में कहा कि सरकार अभिभावकों के सीधे खाते में प्रति छात्र 1100 रुपये की दर से पोशाक और जूते—मोजे, बैग आदि के लिए धनराशि देती है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021—22 में 18 हजार करोड़ रुपये (लगभग) के सापेक्ष 16 हजार करोड़ से अधिक धनराशि सीधे अभिभावकों के खाते में दी गई है। उन्होंने विद्यालयों में प्रबन्ध समितियों के माध्यम से ड्रेस, जूता- मोजा, स्वेटर इत्यादि वितरित कराने से इनकार करते हुए कहा कि इसका सवाल ही नहीं उठता है।

सपा के वरिष्ठ सदस्य लालजी वर्मा ने पूरक प्रश्न करते हुए पूछा कि क्या 1100 रुपये में एक बच्चे को दो सेट पोशाक, जूता- मोजा, स्वेटर और बैग मिल जाएगा। मंत्री ने जवाब दिया कि इतने रुपये में बच्चों को दुकानों पर ड्रेस मिल जाएगा। वीरेंद्र यादव ने कहा कि सरकार के जवाब से स्पष्ट है कि उसका ध्यान गुणवत्ता पर नहीं है। उन्होंने मंत्री से सवाल किया कि वह उस दुकान का नाम बता दें जो 1100 रुपये में बच्चों को ड्रेस, जूता—मोजा, स्वेटर उपलब्ध करा रही है।

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पहले की व्यवस्था में जब बच्चों को पोशाक दिये जाते थे तो नाप की समस्या रहती थी लेकिन इससे बच्चे अपनी नाप और पसंद से पोशाक खरीद लेते हैं।

नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी जोर देकर कहा कि मंत्री जी उस दुकान का नाम बता दें जहां 1100 रुपये में दो सेट पोशाक, बैग, जूते, स्वेटर सब मिल जाएंगे। खन्ना ने कहा कि हर जिले में मिल जाएगा लेकिन कोई एक हजार रुपये मीटर कपड़े चाहेगा तो नहीं मिलेगा। अखिलेश यादव ने कहा कि डबल इंजन की सरकार है तो बच्चों को एक हजार रुपये मीटर के ड्रेस देने चाहिए। सपा के सदस्य महबूब अली ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी से प्रश्न किया कि क्या माध्यमिक शिक्षा मंत्री बताने की कृपा करेंगी कि प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों द्वारा कोर्स की किताबें तयशुदा बुक स्टोर से खरीदे जाने के लिये छात्रों को बाध्य करने की शिकायत सरकार को प्राप्त हुई हैं? यदि हां ,तो क्या सरकार प्राइवेट स्कूल के कोर्स की किताबों की कीमत निर्धारित करेगी? यदि नहीं, तो क्यों? गुलाब देवी ने अपने जवाब में इससे इनकार कर दिया और कहा कि यह प्रश्न ही नहीं उठता है।

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