Edited By Pooja Gill,Updated: 31 Jul, 2023 11:23 AM

UP News: उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर पॉलिसी 2023-24 को 30 जून तक विभागीय तबादले के लिए मंजूरी मिली थी। योगी सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर तबादला नीति को पास किया, जिसमें 30 जून के बाद होने वाले तबादलों के लिए मुख्यमंत्री की इजाजत लेनी होगी।...
UP News (अश्वनी सिंह): उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर पॉलिसी 2023-24 को 30 जून तक विभागीय तबादले के लिए मंजूरी मिली थी। योगी सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर तबादला नीति को पास किया, जिसमें 30 जून के बाद होने वाले तबादलों के लिए मुख्यमंत्री की इजाजत लेनी होगी। तबादला नीति के तहत जिलों में 3 साल और मंडल में 7 साल पूरा कर चुके कर्मचारियों को तबादले में प्राथमिकता दी जानी थी। नियमों को ताक पर रखकर दर्जन हर विभागों में ट्रांसफर में बड़ी भ्रष्टाचार का खेल सामने आ रहा है। जिसको लेकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ काफी सख्त नजर आ रहे हैं। उन्होंने विभागीय तबादला नीति में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच के आदेश भी दिए गए हैं और कई अधिकारियों पर अब तक कार्रवाई भी की गई है।

बता दें कि यूपी सरकार ने तबादलों में भ्रष्टाचार ना हो इसके लिए जीरो पॉलिसी के तहत ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू की थी, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापकों की भराक में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है, जिसको लेकर जांच के आदेश भी दिए गए हैं। इतना ही नहीं कई शिक्षकों ने यह भी कहा कि सही तरीके से ऑनलाइन ट्रांसफर की प्रक्रिया नहीं की गई है। कई ऐसे शिक्षकों ने गलत दस्तावेज लगा कर अपना तबादला करवाया और इसकी जानकारी मिलते ही आप जांच के आदेश भी दिए जा चुके हैं। एक ओर जहां सरकार जीरो पॉलिसी पर काम करना चाहती है, वहीं विभाग के अधिकारी सरकार के भ्रष्टाचार नीति लेकर पलीता लगाते हुए नजर आ रहे हैं।
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PWD विभाग में अफसरों के तबादलों पर उठ रहे हैं सवाल
PWD में अफसरों के तबादलों पर सवाल उठ रहे हैं इसमें मानकों का पालन न किए जाने के साथ ही वर्षों से जमे बाबुओं का पटल परिवर्तन ना करने का आरोप भी है कर्मचारियों ने इस संबंध में पीडब्ल्यूडी मंत्री और प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि 10 से 11 माह पहले जिनका पर परिवर्तन हुआ था उनका अपना परिवर्तन यात्रा अंतरण कर दिया गया है, जबकि एक ही वर्ग में 14 वर्ष से तैनात बाबुओं को नहीं हटाया गया। मुख्यालय सोमवार पर नियुक्त लिपिक संवर्ग के ट्रांसफर के मामले में निश्चित मानक तय नहीं किए गए जिससे तमाम तरह की विसंगतियां सामने आ रही है।

होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों के तबादलों में भी गड़बड़ी
होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों, जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों व फार्मासिस्ट की गलत ढंग से हुए तबादले निरस्त करने की तैयारी की जा रही है, खासकर आकांक्षी जिलों व दिव्यांग इत्यादि के बने नियमों का पालन न होने के सवाल भी खड़े हो रहे हैं। विभागीय अधिकारियों ने इस गड़बड़ी के लिए होम्योपैथिक निदेशालय में तैनात कनिष्ठ सहायक रघुवर तिलक को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया लेकिन अभी भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई होना तय है। दरअसल, बीते 30 जून को 151 होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों 33 वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों और करीब 150 फार्मासिस्ट चौक के स्थानांतरण किए गए और उसी दिन कईयों का संशोधन भी किया गया संशोधित या रद्द करना अब सवाल के घेरे में आ गया है और इसके लिए विभागीय जांच भी शुरू हो गई है।

वन विभागाध्यक्ष ने सेवानिवृत्त से 3 दिन पहले कर डाले 100 से ज्यादा तबादले
वन विभाग में 28 जुलाई को 80 से 100 रेंजरों के तबादले कर दिए, जबकि 35 करोड़ पौधारोपण अभियान के चलते स्थानांतरण के लिए कट ऑफ डेट 30 जून बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया था। यह तबादले विभागाध्यक्ष ममता संजीव दुबे के स्तर से किए गए। वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना ने पहले या मामला सरकार स्तर पर उठाया, वन मंत्री ने अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण को पत्र लिखा कि क्षेत्रीय वन अधिकारी का स्थानांतरण आदेश बिना मेरी अनुमति विचार विमर्श किए जारी कर दिया गया जबकि 15 अगस्त को 5 पौधे लगाने शेष है। इतना ही नहीं वन मंत्री ने तत्काल प्रभाव से स्थानांतरण आदेश को निरस्त करते हुए प्रकरण की सक्षम स्तर पर जांच कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।