चौरी-चौरा कांड: 'पानी नहीं, शहीदों के खून से सींच कर खड़ा किया गया आजादी का वटवृक्ष'

Edited By Anil Kapoor,Updated: 04 Feb, 2021 02:55 PM

tree of freedom was erected after being watered with the blood of martyrs

उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉक्टर महेंद्र सिंह ने गुरुवार को चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव में कहा कि आजादी का वटवृक्ष खड़ा करने के लिए इसे पानी से नहीं, शहीदों के खून से सींचा गया है। यहां चंद्रशेखर आजाद पार्क में आयोजित चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव...

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉक्टर महेंद्र सिंह ने गुरुवार को चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव में कहा कि आजादी का वटवृक्ष खड़ा करने के लिए इसे पानी से नहीं, शहीदों के खून से सींचा गया है। यहां चंद्रशेखर आजाद पार्क में आयोजित चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव पर सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम भारत माता का जयकारा लगा पा रहे हैं। वंदे मातरम गा पा रहे हैं, खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं, तो यह सब उन स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से है जिन्होंने अपनी आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

जानकारी मुताबिक मंत्री ने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि हमें यह संकल्प लेना है कि जिएंगे तो भारत माता के लिए और मरेंगे तो भारत माता के लिए। इसी संकल्प के साथ हमें आगे बढ़ना है। इस अवसर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी ने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय के उल्लेख के बगैर चौरी-चौरा कांड पूर्ण नहीं होता। इस कांड में 171 लोगों को फांसी की सजा हुई। महामना जी वकालत छोड़ चुके थे, लेकिन पंडित नेहरू और राजेंद्र प्रसाद के आग्रह पर वे पुनः हाईकोर्ट पहुंचे और उन्होंने शहीदों का जो पक्ष रखा उससे 151 लोग पूरी तरह से बरी हो गए।

उल्लेखनीय है कि 4 फरवरी, 1922 को उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा में आंदोलनकारियों को रोकने के दौरान पुलिस के साथ संघर्ष हुआ था ,जिसमें बड़ी संख्या में लोग शहीद हुए थे। इस कांड के 100 वर्ष पूरे होने पर केंद्र और राज्य सरकार चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव मना रही है। यह महोत्सव एक वर्ष तक चलेगा।

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