धरना दे रहे दलित छात्र को BHU में मिला एडमिशन, बोला - ये संघर्ष और सत्य की जीत है

Edited By Ramkesh,Updated: 09 Apr, 2025 08:16 PM

the student who was protesting got admission in bhu

BHU University हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में एडमिशन को लेकर धरना दे रहे छात्र शिवम सोनकर की मांग के आगे विश्वविद्यालय प्रशासन बैक फुट पर आ गया है। अब शिवम सोनकर के प्रवेश की अनुमति दे दी है। शिवम ने बताया कि यह सत्य और संघर्ष की जीत है। हमारी...

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में एडमिशन को लेकर धरना दे रहे छात्र शिवम सोनकर की मांग के आगे विश्वविद्यालय प्रशासन बैक फुट पर आ गया है। अब शिवम सोनकर के प्रवेश की अनुमति दे दी है। शिवम ने बताया कि यह सत्य और संघर्ष की जीत है। हमारी मांगे जायज थी जिस वजह से मेरा एडमिशन विश्वविद्यालय को करना पड़ा।

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शिक्षा मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद मिला एडमीशन
दरअसल, पीएचडी दाखिले को लेकर पिछले 20 दिनों से शिवम काशी हिंदू विश्वविद्यालय में धरने पर बैठे थे। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा। इस मुद्दे को विपक्ष ने संसद में उठाया उसके बाद शिक्षा मंत्रालय ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप किया और यूजीसी ने बची हुई सीटों पर प्रवेश देने की अनुमति दी। विश्वविद्यालय ने आदेश का तत्काल पालन करते हुए प्रवेश की प्रक्रिया शुरू की और पहले ही दिन शिवम् सोनकर का एडमिशन हुआ।

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विश्वविद्यालय के पास खाली सीट आवंटित करने का विवेकाधिकार
आप को बता दें कि छात्र शिवम सोनकर ने दावा किया कि बीएचयू में ‘डिपार्टमेंट ऑफ पीस एंड कॉन्फलिक्ट' ने पीएचडी की सात सीट घोषित की थीं जिनमें से चार ‘जूनियर रिसर्च फेलोशिप' (जेआरएफ) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं और तीन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से भरी जानी थीं। सोनकर ने कहा कि उन्होंने प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिले के लिए आवेदन किया और दूसरा स्थान प्राप्त किया। उन्होंने दावा किया, ‘‘इसके अतिरिक्त, विभाग जेआरएफ श्रेणी के तहत चार में से तीन सीट भरने में विफल रहा।'' सोनकर ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय के पास अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों को खाली सीट आवंटित करने का विवेकाधिकार था, लेकिन उनके मामले में ऐसा करने से इनकार कर दिया।

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21 मार्च से धरना दे रहा था छात्र
 परिणाम घोषित होने के एक दिन बाद 21 मार्च को धरना प्रदर्शन शुरू किया। सोनकर ने बताया कि कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार ने तीन अप्रैल को उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके दाखिला अनुरोध पर पुनर्विचार किया जाएगा। हालांकि, सोनकर ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय उन्हें प्रवेश नहीं देता, तब तक वे अपना विरोध-प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे। इसकी प्रतिक्रिया में विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि सोनकर ने शोध प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश के लिए आवेदन किया था, जिसमें केवल दो सीटें उपलब्ध थीं जिनमें एक सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिए और एक ओबीसी उम्मीदवार के लिए थी और दोनों ही भर गईं। फिलहाल अब शिवम सोनकर का एडमीशन हो गया है।

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