इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई फटकार- 'महिला प्रधान के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकते प्रधानपति'

Edited By Anil Kapoor,Updated: 29 Nov, 2023 07:42 AM

the head cannot interfere in the work of the lady head  allahabad hc

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में महिला प्रधानों के स्थान पर उनके पतियों के काम करने की प्रथा की मंगलवार को आलोचना की तथा कहा कि ऐसी दखलअंदाजी राजनीति में महिलाओं को आरक्षण देने के मकसद को कमजोर करती है। एक प्रधानपति यानी एक...

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में महिला प्रधानों के स्थान पर उनके पतियों के काम करने की प्रथा की मंगलवार को आलोचना की तथा कहा कि ऐसी दखलअंदाजी राजनीति में महिलाओं को आरक्षण देने के मकसद को कमजोर करती है। एक प्रधानपति यानी एक महिला प्रधान के पति द्वारा दायर की गई रिट याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा कि उसका ग्राम सभा के कामकाज से कोई लेना देना नहीं होता।

आपको बता दें कि उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रधानपति शब्द उत्तर प्रदेश में काफी लोकप्रिय है और व्यापक स्तर पर इसका उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग एक महिला प्रधान के पति के लिए किया जाता है। अधिकृत प्राधिकारी नहीं होने के बाद भी प्रधानपति आमतौर पर एक महिला प्रधान यानी अपनी पत्नी की ओर से कामकाज करता है। अदालत ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एक महिला प्रधान सभी व्यवहारिक उद्देश्यों के लिए केवल एक रबड़ स्टैंप की तरह काम करती है तथा सभी प्रमुख निर्णय तथाकथित प्रधानपति द्वारा लिए जाते हैं एवं निर्वाचित प्रतिनिधित महज मूक दर्शक की तरह कार्य करती है। यह रिट याचिका ऐसी स्थिति का एक ज्वलंत उदाहरण है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यह रिट याचिका बिजनौर जिले की नगीना तहसील के मदपुरी गांव की ग्राम सभा ने अपनी प्रधान कर्मजीत कौर के मार्फत दायर की थी। इस रिट याचिका के साथ निर्वाचित प्रधान के पक्ष में ऐसा कोई प्रस्ताव संलग्न नहीं था जिसमें उसके पति इस रिट याचिका के लिए अधिकृत किया गया हो। लेकिन इस रिट याचिका के साथ प्रधानपति यानी कर्मजीत कौर के पति सुखदेव सिंह द्वारा एक हलफनामा लगाया गया था। अदालत ने कहा कि प्रधान के तौर पर याचिकाकर्ता को अपने निर्वाचित पद से अधिकार, कर्तव्य आदि अपने पति या किसी अन्य व्यक्ति को सौंपने का कोई अधिकार नहीं है। यहां पैरोकार यानी प्रधानपति का गांव सभा के कामकाज से कोई लेना देना नहीं है। यदि ऐसी अनुमति दी जाती है तो यह न केवल महिला सशक्तीकरण के उद्देश्य को विफल करेगा, बल्कि महिलाओं को आगे आकर राजनीति की मुख्य धारा में शामिल होने के लिए उन्हें आरक्षण देने का उद्देश्य भी विफल करेगा।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!