Edited By Ajay kumar,Updated: 17 May, 2024 05:31 PM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी पेंशन योजना से संबंधित मामले में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू होने की तिथि के बाद नियुक्त होने वाले सहायक अध्यापकों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी पेंशन योजना से संबंधित मामले में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू होने की तिथि के बाद नियुक्त होने वाले सहायक अध्यापकों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। भले ही उनका चयन एनपीएस लागू होने से पूर्व हो गया हो। यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने गाजीपुर की सुषमा यादव की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया। याचिका में एकलपीठ के 4 मार्च 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एकल पीठ ने याची को पुरानी पेंशन का लाभ देने से इनकार कर दिया था।
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याची का चयन 1 अप्रैल 2005 को हुआ
याची का कहना था कि उसका चयन 1 अप्रैल 2005 को एनपीएस लागू होने की तिथि से पूर्व का है, इसलिए उसे पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए। 8 मार्च 1998 को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ था, जिसमें याची ने आवेदन किया था। मगर उसकी बीटीसी की डिग्री मध्य प्रदेश की होने के कारण उसका चयन नहीं हुआ।
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याची ने दिया था रानी पेंशन के लिए प्रत्यावेदन
अंततः हाईकोर्ट के आदेश के बाद याची को 2006 को नियुक्ति पत्र प्राप्त हुआ। उसने पुरानी पेंशन के लिए प्रत्यावेदन दिया। मगर उन्होंने स्वीकार नहीं किया। याची का कहना था कि चयन प्रक्रिया 1998 में शुरू हुई जिसमें वह शामिल हुई। मगर नियोजकों ने उसे पूरा नहीं किया और कोर्ट के आदेश के बाद उसे 2006 में नौकरी मिल सकी।