Edited By Ajay kumar,Updated: 24 May, 2024 09:53 PM
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सपा नेता आजम खान एंड फैमिली के फर्जी प्रमाण पत्र मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जमानत दे दी है। सात साल की सज़ा के खिलाफ दाखिल की गई आजम खान, उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम की याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
रामपुरः सपा नेता आजम खान एंड फैमिली के फर्जी प्रमाण पत्र मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जमानत दे दी है। सात साल की सज़ा के खिलाफ दाखिल की गई आजम खान, उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम की याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इन याचिकाओं में सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 14 मई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था। फैसला जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने सुनाया है।
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हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान है, लेकिन वह फैसले से संतुष्ट नहीं
हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को शहर विधायक आकाश सक्सेना सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान है, लेकिन वह फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में कानूनी अधिकारों के तहत वह इस मामले को उच्चतम न्यायालय लेकर जाएंगे। सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां इन दिनों सीतापुर जेल में बंद हैं, जबकि उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा रामपुर जेल और छोटा बेटा अब्दुल्ला आजम हरदोई जेल में बंद हैं। तीनों को अब्दुल्ला आजम के दो-दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में रामपुर कोर्ट ने सात-सात साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद आजम खां ने रामपुर कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस प्रकरण में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 14 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद शुक्रवार को हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुना दिया। हाईकोर्ट ने आजम खां की सात साल की सजा पर रोक लगाते हुए अब्दुल्ला आजम और डॉ. तजीन फात्मा की जमानत मंजूर कर ली। हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद मुकदमे के वादी शहर विधायक आकाश सक्सेना ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि वह हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन वह फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
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क्या है फर्जी प्रमाण पत्र का मामला?
दरअसल, पूरा मामला ये है कि आजम खान के छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम ने 2017 में जब विधानसभा चुनाव लड़ा तो उनकी 25 साल नहीं थी। हालांकि, वो रामपुर जिले की स्वार सीट से चुनाव जीत गए थे। बाद में इस मामले को कोर्ट में चुनौती दी गई। उनके विरोधी उम्मीदवार और बीएसपी नेता नवाब काजिम अली खान ने अब्दुल्ला की उम्र को लेकर हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला की उम्र विधायकी चुनाव लड़ने की नहीं है। रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से अब्दुल्ला आजम ने जब विधानसभा का चुनाव लड़ा था तो शफीक अंसारी उनके प्रस्तावक थे। शैक्षिक प्रमाण पत्रों में अब्दुल्ला की जन्म तिथि 1 जनवरी 1993 है जबकि उनके बर्थ सर्टिफिकेट में 30 सितंबर 1990 थी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अब्दुल्ला की ओर से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया था और स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया था। कोर्ट ने पाया था कि साल 2017 में चुनाव लड़ने के दौरान अब्दुल्ला की उम्र 25 साल से कम थी। वहीं, 2019 में रामपुर से बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने गंज थाने में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया। इसमें आजम खान और उनकी पत्नी तंजीन फातिमा को भी आरोपी बनाया गया था। रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पिछले साल आजम खान, अब्दुल्ला आजम और तंजीन फातिमा को दोषी पाया और तीनों को 7-7 साल की सजा सुनाई थी।