Edited By Ajay kumar,Updated: 25 May, 2024 08:43 AM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम पूर्ण करने के मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के विनियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा एक साथ नियमित छात्र या निजी...
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम पूर्ण करने के मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के विनियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा एक साथ नियमित छात्र या निजी छात्र के रूप में नहीं दे सकता है और यदि कोई व्यक्ति एक साथ दोनों परीक्षाओं में उपस्थित पाया जाता है तो उसका परिणाम स्वतः अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। ऐसे उम्मीदवारों के परिणाम को अमान्य घोषित करने का कार्य संबंधित परीक्षा बोर्ड द्वारा किया जाता
है।
किसी व्यक्ति का रोजगार समाप्त नहीं किया जा सकता..
इसी प्रकार उच्च शिक्षा के मामले में अप्रैल 2022 से पहले एक साथ दो नियमित पाठ्यक्रम करने पर प्रतिबंध था और अगर किसी व्यक्ति ने ऐसी परीक्षाएं दी हैं तो उसे संबंधित परीक्षा निकाय द्वारा ही रद्द किया जा सकता है, लेकिन केवल इस आधार पर किसी व्यक्ति का रोजगार समाप्त नहीं किया जा सकता कि उसने एक साथ दो डिग्रियां अर्जित की हैं।
अध्यापिका ने एक साथ दो शैक्षिक पाठ्यक्रम किए पूर्ण
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई जांच में यह सिद्ध हुआ है कि विपक्षी/अध्यापिका ने एक साथ दो शैक्षिक पाठ्यक्रम पूर्ण किए हैं, लेकिन उनमें से किसी को भी सक्षम परीक्षा बोर्ड द्वारा अमान्य घोषित नहीं किया गया। अतः केवल इस आधार पर उसकी सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकती हैं कि उसने एक साथ दो डिग्रियां ली हैं। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मैनपुरी की लक्ष्मी शाक्य को बकाया वेतन भुगतान करने के साथ ही सेवा में नियमित करने के निर्देश दिए।