Edited By Anil Kapoor,Updated: 30 Sep, 2024 12:29 PM
Lucknow News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का ओर से बीते दिनों राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को लेकर एक आदेश जारी किया गया था। इस आदेश में सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को 31 अगस्त तक चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए कहा गया था, लेकिन कुछ...
Lucknow News: (अश्वनी कुमार सिंह) उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का ओर से बीते दिनों राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को लेकर एक आदेश जारी किया गया था। इस आदेश में सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को 31 अगस्त तक चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा देने के लिए कहा गया था, लेकिन कुछ विभागों के कर्मचारियों ने 31 अगस्त तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया। जिसके बाद सरकार ने ब्यौरा जमा कराने की अंतिम तारिख 30 सितंबर तक कर दी थी। आज यानी 30 सितंबर (सोमवार) चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा जमा कराने का अंतिम दिन है।
60000 कर्मचारियों ने अब तक नहीं दिया चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा
आपको बता दें कि सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेश में राज्य के 20 लाख कर्मचारियों और अधिकारियों से संपत्ति का ब्यौरा मांगा गया था, लेकिन 60 हजार कर्मचारियों ने संपत्ति का विवरण नहीं जमा किया था। जिसके बाद कहा गया कि अगर ये कर्मचारी अगर 30 सितंबर तकअपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे पाएंगे तो उनकी सैलरी रोक दी जाएगी।
मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड करना है संपत्ति का ब्यौरा
मिली जानकारी के मुताबिक, अधिकारियों-कर्मचारियों को मानव संपदा पोर्टल पर संपत्ति का ब्यौरा अपलोड करना होगा। ऐसे में जो कर्मचारी 30 सितंबर तक पोर्टल पर विवरण नहीं जमा करेंगे, उनकी सितंबर महीने की सैलरी रोक दी जाएगी।
इन विभाग के कर्मचारियों से मांगा गया है संपत्ति का विवरण
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण ना देने वाले कर्मचारियों की सैलरी अभी नहीं रोकी है। हालांकि, अगर अब कर्मचारी तय समय तक (30 सितंबर) संपत्ति का ब्यौरा नहीं देंगे, तो उनकी सैलरी रोक दी जाएगी। ऐसी स्थिति के लिए कर्मचारी खुद जिम्मेदार होंगे। आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में कुल 846640 राज्य कर्मी हैं। जिनमें से 602075 ने ही मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण अपलोड किया था। जिन विभागों ने ब्यौरा दिया है, उनमें टेक्सटाइल, सैनिक कल्याण, ऊर्जा, खेल, कृषि और महिला कल्याण विभाग, बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास और राजस्व विभाग शामिल हैं।