Edited By Imran,Updated: 04 Aug, 2025 01:01 PM

महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम ब्लास्ट के मामले में पिछले दिनों सभी आरोपी बरी हो गए। बता दें कि 17 साल के लंबे इंतजार के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने गुरुवार (31 जुलाई) सबूतों के अभाव में ये फैसला लिया था। वहीं, अब...
यूपी डेस्क: महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम ब्लास्ट के मामले में पिछले दिनों सभी आरोपी बरी हो गए। बता दें कि 17 साल के लंबे इंतजार के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने गुरुवार (31 जुलाई) सबूतों के अभाव में ये फैसला लिया था। वहीं, अब इस ब्लास्ट मामले के मुख्य गवाह गवाह मिलिंद जोशीराव ने अब एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जो बेहद गंभीर है।
चल रही खबरों के मुताबिक मुख्य गवाह गवाह मिलिंद जोशीराव ने कहा है कि पूछताछ के दौरान एटीएस के अधिकारी उन दबाव बना रहे थे कि इस ब्लास्ट में योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के मोहन भागवत का वो नाम लें जिससे कि उन्हें फंसाया जा सके। लेकिन मिलिंद जोशीराव ने ऐसा नहीं किया तो उन्हें कई दिनों तक हिरासत में रखा गया था। वहीं, इस मामले में जांच अधिकारी महबूब मुजावर ने बताया कि तत्कालीन सरकार हिंदुत्व की राजनीति को खत्म करना चाहती थी।
गवाह को प्रताड़ित कर मानसिक दबाव बनाया गया
इतना ही नहीं मुख्य गवाह मिलिंद जोशीराव ने यह भी कहा है कि ATS के अधिकारी दबाव बना रहे थे कि वह RSS के नेताओं का नाम ले ले, लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो कई दिनों तक उन्हें हिरासत में रखा गया और प्रताड़ित भी किया गया।
सभी 7 आरोपी बरी-
कोर्ट द्वारा इस मामले में जिन प्रमुख आरोपियों को बरी किया है उनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी भी इस मामले में आरोपी थे, जिन्हें अदालत ने निर्दोष पाया।
कोर्ट का अहम फैसला और टिप्पणियां-
स्पेशल जज लाहोटी ने फैसला सुनाते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कहीं:
सबूतों का अभाव: अदालत ने जोर देकर कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत उपलब्ध नहीं है जिससे उनके अपराध को साबित किया जा सके।
- आरडीएक्स पर स्पष्टता नहीं: कोर्ट ने पाया कि यह साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है कि कर्नल पुरोहित आरडीएक्स लाए थे या बम को असेंबल किया गया था।
- मोटरसाइकिल बम की स्थिति: अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि बम मोटरसाइकिल के बाहर रखा गया था, न कि अंदर। यह भी स्पष्ट नहीं हो सका कि बम वाली मोटरसाइकिल किसने खड़ी की, खासकर तब जब घटना स्थल रमजान के चलते पहले से सील किया गया था।
- अन्य घटनाओं पर अस्पष्टता: घटना के बाद की स्थितियों जैसे पत्थरबाजी, नुकसान पहुंचाना या पुलिस की बंदूक छीनने जैसी घटनाओं पर भी कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिला।
- मेडिकल प्रमाण पत्र: कुछ मेडिकल प्रमाण पत्र अवैध चिकित्सकों द्वारा जारी किए गए थे, जिन्हें अदालत में साबित नहीं किया जा सका। एटीएस कार्यालय पर तर्क खारिज: बचाव पक्ष के इस तर्क को कि एटीएस का कालाचौकी कार्यालय एक पुलिस स्टेशन नहीं है, अदालत ने अस्वीकार कर दिया।