सर्व शिक्षा अभियान के दावों की खुली पोल! 3 महीने बाद भी नही आई किताबें, फटी-पुरानी किताबों से शिक्षा ग्रहण कर रहे नौनिहाल

Edited By Mamta Yadav,Updated: 25 Jul, 2022 12:59 PM

sarva shiksha abhiyan s claims open pole books did not come even after 3 months

उत्तर प्रदेश के हरदोई में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को नई किताबें न मिलने से बच्चे फटी पुरानी किताबों के सहारे पढ़ने को मजबूर हैं। आलम यह है कि 90 फीसदी बच्चों के पास किताबें ही नहीं हैं। अप्रैल महीने से नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है लेकिन...

हरदोई: उत्तर प्रदेश के हरदोई में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को नई किताबें न मिलने से बच्चे फटी पुरानी किताबों के सहारे पढ़ने को मजबूर हैं। आलम यह है कि 90 फीसदी बच्चों के पास किताबें ही नहीं हैं। अप्रैल महीने से नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है लेकिन बावजूद इसके जिले में विभाग की ओर से अध्ययनरत सभी विद्यालयों के बच्चों को किताबें मुहैया नहीं कराई जा सकी हैं। इसके चलते कहीं एक या फिर दो किताबों के सहारे ही पूरे क्लास में बच्चों को पढ़ा जा रहा है तो कहीं पुरानी किताबों के सहारे बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं तो कहीं किताबे ना होने की वजह से शिक्षक अपने संसाधनों से ही बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। किताबें ना होने की वजह से बच्चे होमवर्क नहीं कर पाते और न ही एक्सट्रा पढ़ाई कर पाते हैं। विद्यालय में बगैर किताब के अध्यापकों को भी बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत होती है तो बच्चों की तैयारी भी बेहद कमजोर हो रही है। इसको लेकर विद्यालय के शिक्षक और बच्चे भी चिंतित हैं।

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कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित होने से जहां उनका शैक्षिक स्तर गिरा है तो वहीं किताबें ना मिलना उनके लिए अभिशाप साबित हो रहा है। दरअसल जनपद में 3446 परिषदीय विद्यालय हैं जिनमें 4 लाख 90 हजार बच्चे अध्ययनरत हैं। इन बच्चों को प्रत्येक वर्ष पढ़ाई के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मुफ्त किताबें मुहैया कराई जाती हैं, जिससे बच्चे बेहतर शिक्षा हासिल कर सकें। लेकिन इस बार प्राथमिक और जूनियर विद्यालय के बच्चों को सरकार की ओर से दी जाने वाली किताबें अभी नहीं मिल सकी हैं, शैक्षिक सत्र के 3 माह बीत जाने के बाद भी किताबें ना मिल पाने से बच्चों का शैक्षिक स्तर गिरता जा रहा है।

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हालांकि विभाग की ओर दावा किया गया कि पुराने पास आउट बच्चों की किताबें लेकर बच्चों को पढ़ाया जाता है लेकिन हकीकत यह है कि कुछ बच्चे ही पुरानी किताबों के सहारे पढ़ रहे हैं। ऐसे में विद्यालयों में बच्चों की ठीक से पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है, आने वाले समय में होने वाले एग्जाम के लिए बच्चों की तैयारी काफी कमजोर साबित होगी, इसको लेकर विद्यालय के शिक्षक भी चिंतित हैं और छात्र भी। माना जा रहा है कि सितंबर तक विभाग की ओर से किताबें मुहैया हो सकती हैं, ऐसे में जहां कोरोना काल के दौरान बच्चों के शैक्षिक स्तर में पहले ही काफी गिरावट आई थी लेकिन किताबें ना मिलने की वजह से बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।

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विकासखण्ड बावन के प्राथमिक विद्यालय पोखरी में 155 बच्चे अध्ययनरत हैं। प्रधानाध्यापिका अर्चना पांडेय ने बताया कि कक्षा 4 और 5 के बच्चों को सभी किताबों के सापेक्ष दो दो किताबें मुहैया कराई गई है, जबकि कक्षा 1, 2 और 3 के बच्चों को कोई किताब नहीं मिली है। ऐसे में पुरानी एक दो किताबों के सहारे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। किताबों की कमी से बच्चों का होमवर्क नहीं हो पाता और घर में वह पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में शिक्षकों को पढ़ाने में खासी दिक्कत होती है अगर कोई किताब खोल कर बच्चों को पढ़ाते हैं तो बच्चे किताब ना होने की वजह से किताब से नहीं पढ़ पाते हैं। आने वाले समय में परीक्षाएं भी होंगी, ऐसे में बच्चों का पेपर कैसे तैयार होगा और कैसे उनकी तैयारी पूरी होगी।

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प्राथमिक विद्यालय अब्दुलपुरवा में बच्चों और शिक्षकों ने किताबें ना मिलने की वजह से परेशानियों को व्यक्त किया। बच्चों का कहना है कि उनको किताबें मुहैया नहीं हुई है जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है, विद्यालय में तो पढ़ा दिया जाता है लेकिन वह घर पर पढ़ाई नहीं कर सकते। ऐसे में उनकी पढ़ाई पिछड़ती जा रही है। उत्तर माध्यमिक विद्यालय पोखरी में कक्षा 6, 7 और 8 के बच्चों को किताबें नहीं मिली है लिहाजा पास आउट हुए बच्चों की कुछ पुरानी किताबों के सहारे ही शिक्षण कार्य चलाया जा रहा है।

बच्चे बताते हैं कि स्कूल में शिक्षिकाएं पढ़ाती हैं वह लोग स्कूल में तो पढ़ लेते हैं लेकिन किताबें ना होने से न तो वो रिवीजन कर पाते हैं और ना ही सही से पढ़ाई हो पाती है,जिसका खामियाजा उन्हें एग्जाम में भुगतना पड़ सकता है। इस बारे में खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय अनिल ओझा ने बताया कि किताबें जल्द ही आने वाली हैं,सभी बच्चों को किताबें मुहैया कराई जाएंगी, हालांकि अभी किताबें नहीं आई है जिसकी वजह से शिक्षण कार्य में कुछ व्यवधान आ रहा है लेकिन पुरानी किताबों और दीक्षा ऐप के जरिए बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

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