Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 12 Feb, 2023 01:19 PM

रामचरितमानस को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। रामचरितमानस पर बयान देकर स्वामी प्रसाद मौर्य हिन्दू संगठन, कई नेताओं और संतों के निशाने पर हैं। इसी बीच समाजवादी...
लखनऊ: रामचरितमानस को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। रामचरितमानस पर बयान देकर स्वामी प्रसाद मौर्य हिन्दू संगठन, कई नेताओं और संतों के निशाने पर हैं। इसी बीच समाजवादी पार्टी में भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं। समाजवादी पार्टी के विधायक राकेश प्रताप सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा है कि राजनीति रहे न रहे, विधायक रहूं न रहूं, आगे टिकट रहे न रहे, लेकिन जब धर्म पर ऊंगली उठेगी तो मैं चुप नहीं रहूंगा।

सपा विधायक ने कहा, “श्रीराम पर टिप्पणी करने वाला सनातनी और समाजवादी नहीं हो सकता है। कोई विक्षिप्त प्राणी ही भगवान श्रीराम पर टिप्पणी कर सकता है। मैं हमेशा श्रीराम और श्रीकृष्ण पर टिप्पणी करने वालों का विरोध करूंगा। इस दौरान सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवान, रामचरितमानस पर टिप्पणी करने वालों को सद्बुद्धि दें।

बता दें कि इससे पहले सपा नेत्री ऋचा सिंह ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर आपत्ति जताई। इसी के साथ सपा नेता रोली तिवारी मिश्रा भी इस विवाद को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य पर लगातार हमलावर हैं। पार्टी का एक खेमा अब खुलेमंच से स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ नजर आ रहा है।
क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने?
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है। क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की चौपाई है। इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।