प्रवासी मजदूरों के प्रति योगी सरकार का रवैया अमानवीय : अखिलेश

Edited By PTI News Agency,Updated: 18 May, 2020 08:45 PM

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लखनऊ, 18 मई (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लॉक डाउन में अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों के प्रति उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के रवैये को अमानवीय करार देते हुए सोमवार को कहा कि इससे सरकार की नीतियों और...

लखनऊ, 18 मई (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लॉक डाउन में अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों के प्रति उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के रवैये को अमानवीय करार देते हुए सोमवार को कहा कि इससे सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गया है।
अखिलेश ने यहां एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अपने कारनामों से मानवता को शर्मसार कर रही है। सरकार के रवैये से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश भर के मजदूर आक्रोशित है। इससे सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की सीमाओं को अचानक बंद करने के आदेश से स्थिति और गम्भीर हो चली है। प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में प्रवासी मजदूर भूख प्यास से व्याकुल और चीख पुकार करते हुए प्रदेश की सीमा में प्रवेश पाने के लिए पुलिस के आगे गिड़गिड़ा रहे हैं। जो लोग बीच प्रदेश में फंसे हैं उनके साथ पुलिस दुव्र्यवहार कर रही है।
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के अदूरदर्शी फैसलों के चलते गरीब और बेबस श्रमिकों की जिंदगी नर्क हो गई है। मथुरा में कोसीकलां से फरह तक राजमार्ग पर जमा श्रमिकों को जब 7 घंटे तक खाना पानी नहीं मिला, बसों की व्यवस्था नहीं हुई तो उनके आक्रोश व्यक्त करने पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाई। सहारनपुर और झांसी में भी कामगारों का सब्र टूट गया। लाठियों की यह चोट गरीब जनता कभी नहीं भूलेगी।
अखिलेश ने कहा कि कोई सरकार कैसे इतनी अमानवीय हो सकती है। औरैया सड़क हादसे में झारखण्ड के मृत श्रमिकों और घायलों को एक साथ खुले ट्रक से रवाना किया गया। एक मृतक का पिता खेत मजदूर है वह अपने बेटे का शव लेने के लिए 19 हजार रूपए खर्चकर आने को मजबूर हुआ।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अब हालात नियंत्रण के बाहर अराजकता तक पहुंच गये है। आखिर इस संकट की जिम्मेदारी किसकी है? भाजपा सरकार से आग्रह है कि वह संवेदनशील होने का परिचय दे। जो लोग सैकड़ों मील चलकर जहां भी पहुंचे हैं, अब वहीं से आगे उन्हें घर भिजवाने की तुरन्त व्यवस्था की जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार की इससे ज्यादा अक्षमता का प्रमाण क्या मिल सकता है कि समय से निर्णय नहीं कर सकी। लाखों श्रमिक पैदल मारे-मारे पैदल चलने को मजबूर हुए। उनमें से सैकड़ों तो रास्ते में ही मर गये। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाचार श्रमिकों को अपने ही गृह राज्य में उत्पीड़ित और अपमानित होना पड़ रहा है।
अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी की मांग है कि सरकार किसी भी श्रमिक की हादसे में मौत पर प्रत्येक के परिजन को दस लाख रुपए की मदद तत्काल दे।


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