Edited By Ajay kumar,Updated: 04 Apr, 2020 04:01 PM

कोरोना वायरस...एक ऐसा नाम जो इंसान के कानों में जाते ही उसे कंपन की अनुभूति करा देता है। चीन के वुहान से निकले इस जानलेवा खतरनाक वायरस ने दुनिया के हर कोने में अपना आतंक मचा रखा है। होना भी लाज़मी है दरअसल...
लखनऊः कोरोना वायरस...एक ऐसा नाम जो इंसान के कानों में जाते ही उसे कंपन की अनुभूति करा देता है। चीन के वुहान से निकले इस जानलेवा खतरनाक वायरस ने दुनिया के हर कोने में अपना आतंक मचा रखा है। होना भी लाज़मी है दरअसल इस वायरस का लक्षण भले ही सामान्य है मगर ज्यादातर इसका सफर मौत पर ही खत्म होता है। जहां इस कोरोना की वजह से इंसान का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। वहीं इस वायरस की वजह से कई लाभ भी हमें मिले हैं। हमारे आस-पास कई परिवर्तन देखने काे मिले हैं। कुछ चीजें बेहतर की स्थिति में पहुंच गई है। आइए डालते हैं उनपर एक नजर-

बेहतर हुआ पर्यावरण
लॉकडाउन पूरे देश में इस वक्त लागू है। इसके कारण फैक्ट्रियां, ऑफिस यहां तक कि रेल-बस सुविधाएं भी बंद हैं। यह वास्तविकता है कि इन सबके बंद होने से अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान हो रहा है लेकिन पर्यावरण की हालत काफी हद तक सुधरती दिख रही है। पर्यावरण भी खुलकर सांस ले रहा है। आंकड़े भी कुछ ऐसी ही बात करते हैं। 26 मार्च, 2020 को नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 77 का आंकड़ा दिखा रहा था जबकि इसी तारीख को 2019 में यह आंकड़ा 156 यानी इसके दुगने से भी ज्यादा था। साफ है कि लॉकडाउन के चलते हवा की गुणवत्ता बढ़ गई है। आजकल चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देने लगी है वहीं पेड़ पौधों की चमक भी बढ़ गई है।

गंगा नदी हुई स्वच्छ
गंगा नदी की स्वच्छता में भी बड़ा सुधार देखा गया है क्योंकि इसमें औद्योगिक इकाइयों का कचरा गिरने में कमी आई है। लॉकडाउन की वजह से 24 मार्च से ही देश की 1.3 अरब आबादी घरों में ही सिमटी हुयी रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, ज्यादातर निगरानी केद्रों में गंगा नदी के पानी को नहाने लायक पाया गया है। सीपीसीबी के वास्तविक समय के निगरानी आंकड़ों के अनुसार, गंगा नदी के विभिन्न बिन्दुओं पर स्थित 36 निगरानी इकाइयों में करीब 27 बिन्दुओं पर पानी की गुणवत्ता नहाने और वन्यजीव तथा मत्स्य पालन के अनुकूल पाई गई। इससे पहले, उत्तराखंड और नदी के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के कुछ स्थानों को छोड़कर नदी का पानी बंगाल की खाड़ी में गिरने तक पूरे रास्ते नहाने के लिए अनुपयुक्त पाया गया था। पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार देखा गया है। तोंगड ने कहा कि औद्योगिक शहर कानपुर में गंगा के आसपास काफी सुधार देखा गया है जहां से बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा निकलता है और इसे नदियों में फेंका जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘गंगा की सहायक नदियों जैसे कि हिंडन और यमुना में भी पानी की गुणवत्ता में सुधार देखा गया है।’’ उन्होंने बताया कि इस बंद की अवधि के आने वाले दिनों में गंगा के पानी की गुणवत्ता में और सुधार होने की संभावना है।

श्रम की हुई पहचान
भारत की जनसंख्या में एक बड़ा हिस्सा मजदूरों का है। यह वही मजदूर हैं जो अपना श्रम बेंचकर रूपया कमाते हैं। जैसे घरेलू कामवाली या दाई, दिहाड़ी मजदूर, सफाईकर्मी, डिलीवरी बॉय ऐसे में इन्हें दोयम दर्जें का समझा जाता है। समाज में अधिक धन वाले इनके साथ बहुत अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। या कह सकते हैं कि छोटे काम करने वालों को अक्सर हेय दृष्टि से देखा जाता है। कोरोना संकट के समय ‘महत्वपूर्ण’ काम करने वाले ज्यादातर लोग घरों में बंद हैं और बहुत मूलभूत काम पहले की तरह जमीन पर ही हो रहे हैं। यह एहसास इस वक्त ज्यादातर लोगों को हो गया है।

घर को मिला परिवार का साथ
आज 21 वीं शताब्दी का समय है दुनिया में सब प्रोफेशनल हैं हर कोई पैसा, पहचान और दुनिया की चकाचौंध में भाग रहा है। ऐसे में लोग यह भूल गए हैं कि परिवार ही वह धूरी है जिससे दुनिया चलती है। जीवन की भागदौड़ में कई बार बेहद आम लोग भी अपने परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे में यह लॉकडाउन परिवार के साथ वक्त बिताने का भी मौका बन गया है। इसके अलावा इस वक्त को पुराने दोस्तों और छूट चुके रिश्तेदारों को याद करने और उनसे फोन या मैसेजिंग के जरिये संपर्क करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
आर्थिक लाभ भी हुआ
लॉकडाउन के चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति गड़बड़ा गई है। लेकिन इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत आधी से भी कम हो गई है। तेल के दाम कम हैं इसलिए भारत सरकार इसकी बाज़ार कीमत बढ़ाए बगैर इस पर ज्यादा एक्साइज ड्यूटी वसूल कर रही है। वहीं जानकारों का मानना है कि तेल के दाम अब एक लंबे समय तक नहीं बढ़ने वाले। कोरोना की मुसीबत से छुटकारा पाने के बाद भी। ऐसे में इससे न केवल सरकार को ज्यादा राजस्व मिल सकता है बल्कि देश का चालू खाते का घाटा भी थोड़ा कम हो सकता है और महंगाई भी नियंत्रण में रखी जा सकती है। यह और बात है कि कोरोना के चलते अर्थव्यवस्था को जो नुकसान होगा उसके सामने ये चीजें उतनी मायने नहीं रखती हैं. लेकिन यह कोरोना संकट के दौरान एक फायदे की तर्ज पर रखा जा सकता है।

बच्चों का नाम रखा 'कोरोना' और 'लॉकडाउन'
देवरिया जिले के खुखुंदू गांव में पैदा हुए एक बच्चे का नाम उसके माता-पिता ने 'लॉकडाउन' रखा है। बच्चे के पिता पवन ने कहा, 'यह लॉकडाउन के दौरान पैदा हुआ था। हम कोरोना महामारी से बचाने के लिए लॉकडाउन लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना करते हैं। वहीं गोरखपुर में जनता कर्फ्यू के दिन पैदा हुई एक बच्ची का नाम उसके चाचा ने 'कोरोना' रखा था। चाचा नितेश त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने घातक वायरस फैलने के बाद बच्चे का नाम कोरोना रखने का फैसला किया क्योंकि कोरोना ने दुनिया को एकजुट कर दिया है।